निबंध:-
आतंकवाद के कारण और उपाय
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आज विश्व के अधिकांश देशीं में आतंकवाद प्रमुख समस्या बनी हुई है । आतंकवाद के खतरों से आम नागरिक ही नहीं बल्कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रहने वाले देश के कर्ता-धर्ता भी मौत के साये में जी रहे हैं । प्राय: देश की सीमा पर तैनात सैनिकों से आतंकवादियों की मुठभेड़ होती रहती है ।
आधुनिक हथियारों से युक्त आतंकवादी मासूम नागरिकों के खून से होली खेल रहे हैं और विश्व की महाशक्ति माने जाने वाले देश भी आतंकवाद पर काबू पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं । जिहाद के नाम पर कुछ आतंकवादी संगठनों द्वारा की जा रही विनाश-लीला निरन्तर बेगुनाह पुरुष-महिलाओं और मासूम बच्चों को मौत की नींद सुला रही है । आज आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा शत्रु बना हुआ है ।
हमारे समस्त धार्मिक अन्यों में मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म समस्त प्राणियों से प्रेम करना बताया गया है । सभी धर्मों का मूल संदेश मानव का मानव से प्रेम ही है । प्रेम के द्वारा ही मानव जाति सुरक्षित और सुखी रह सकती है ।
ईश्वर प्राप्ति भी मनुष्य प्रेम के द्वारा ही कर सकता है । विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में बताया गया है कि प्रत्येक मानव में ईश्वर का वास है । अत: प्रत्येक मानव से प्रेम करना ही ईश्वर से प्रेम करना है । परन्तु कुछ लोग धर्म के नाम पर उन्माद में मासूम लोगों की हत्याएँ कर रहे हैं ।
आतंकवादी संगठन बनाकर ये लोग निहत्थे नागरिकों को बेरहमी से गोलियों से भून रहे हैं और इसे धर्म की लड़ाई का नाम दे रहे हैं । ये आतंकवादी संगठन भूल रहे हैं कि कोई भी धर्म मासूम लोगों की हत्या की अनुमति नहीं देता ।
वास्तव में आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना उचित नहीं है । एक आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता । वह केवल एक हत्यारा होता है । कुछ लोगों के बहकावे में आकर वह मानवता की राह से भटककर अमानुष बन जाता है ।
उसकी किसी से व्यक्तिगत शत्रुता नहीं होती, परन्तु अपने मार्ग-दर्शकों के आदेश पर वह निर्भय होकर किसी की भी हत्या कर, देता है । आतंकवादी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य आतंक फैलाना होता है ।
विभिन्न भयोत्पादक उपायों के द्वारा आतंक फैलाकर आतंकवादी सरकार पर अपनी अनुचित माँगों के लिए दबाव डालने का प्रयास करते हैं ।
इस प्रयास में आतंकवादी अपनी जान जोखिम में डालने से भी नहीं घबराते । आजकल विभिन्न आतंकवादी संगठनों द्वारा ऐसे ही आत्मघाती दस्ते अधिक तैयार किए जा रहे हैं । इन दस्तों में शामिल आतंकवादियों को जान लेने और देने का ही प्रशिक्षण दिया जाता है ।
आज आतंकवाद ने सारे विश्व में युद्ध की सी स्थिति उत्पन्न कर दी है । युद्ध और आतंकवाद में अन्तर केवल इतना है कि युद्ध में दो सशस्त्र सेनाएँ आमने-सामने होती हैं और नियमों के अनुसार दोनों अपने अपने सैन्य बल का प्रयोग करती हैं, जबकि आतंकवाद सभी नियमों को ताक पर रखकर कभी भी कहर बनकर बेगुनाहों पर टूट पड़ता है ।
आतंकवाद के युद्ध में आतंकवादी पक्ष तो पूर्णतया प्रशिक्षित और हथियारयुक्त होता है, लेकिन दूसरा पक्ष निहत्थे आम नागरिक होते हैं । वास्तव में आतंकवाद एक युद्ध नहीं, बल्कि मानवता के शत्रुओं का मानव जाति पर एकतरफा हमला है ।
विश्व के लगभग सभी देश आतंकवाद की समस्या के प्रति चिंतित हैं और आतंकवाद को काबू में करने के यथासम्भव प्रयास कर रहे हैं । परन्तु आतंकवादी संगठनों की शक्ति किसी सेना से कम नहीं है । विभिन्न क्षेत्रों में गुप्त रूप से आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं । उनके पास आधुनिक हथियारों और गोला-बारूद की भी कमी नहीं है ।
इन आतंकवादी संगठनों को कुछ देशों का समर्थन भी प्राप्त हो रहा है । इस स्थिति में आतंकवाद पर काबू पाना मानव-समाज के लिए अयंत कठिन हो गया है । हमारे देश में कुछ आतंकवादियों ने सरकार के सामने आत्मसमर्पण भी किया है । इन भटके हुए युवा आतंकवादियों ने स्वीकार किया कि उन्हें बहला फुसलाकर धर्म के नाम पर आतंकवादी बनने पर विवश किया गया था ।
उन्होंने अपनी भूल स्वीकार की और प्रायश्चित के लिए हथियार त्याग दिए । आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए युवाओं में इसी भावना के जागृत होने की आवश्यकता है तभी आतंकवाद का अन्त हो सकता है ।
आधुनिक हथियारों से युक्त आतंकवादी मासूम नागरिकों के खून से होली खेल रहे हैं और विश्व की महाशक्ति माने जाने वाले देश भी आतंकवाद पर काबू पाने में सफल नहीं हो पा रहे हैं । जिहाद के नाम पर कुछ आतंकवादी संगठनों द्वारा की जा रही विनाश-लीला निरन्तर बेगुनाह पुरुष-महिलाओं और मासूम बच्चों को मौत की नींद सुला रही है । आज आतंकवाद मानवता का सबसे बड़ा शत्रु बना हुआ है ।
हमारे समस्त धार्मिक अन्यों में मनुष्य का सबसे बड़ा धर्म समस्त प्राणियों से प्रेम करना बताया गया है । सभी धर्मों का मूल संदेश मानव का मानव से प्रेम ही है । प्रेम के द्वारा ही मानव जाति सुरक्षित और सुखी रह सकती है ।
ईश्वर प्राप्ति भी मनुष्य प्रेम के द्वारा ही कर सकता है । विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में बताया गया है कि प्रत्येक मानव में ईश्वर का वास है । अत: प्रत्येक मानव से प्रेम करना ही ईश्वर से प्रेम करना है । परन्तु कुछ लोग धर्म के नाम पर उन्माद में मासूम लोगों की हत्याएँ कर रहे हैं ।
आतंकवादी संगठन बनाकर ये लोग निहत्थे नागरिकों को बेरहमी से गोलियों से भून रहे हैं और इसे धर्म की लड़ाई का नाम दे रहे हैं । ये आतंकवादी संगठन भूल रहे हैं कि कोई भी धर्म मासूम लोगों की हत्या की अनुमति नहीं देता ।
वास्तव में आतंकवाद को किसी धर्म से जोड़ना उचित नहीं है । एक आतंकवादी का कोई धर्म नहीं होता । वह केवल एक हत्यारा होता है । कुछ लोगों के बहकावे में आकर वह मानवता की राह से भटककर अमानुष बन जाता है ।
उसकी किसी से व्यक्तिगत शत्रुता नहीं होती, परन्तु अपने मार्ग-दर्शकों के आदेश पर वह निर्भय होकर किसी की भी हत्या कर, देता है । आतंकवादी के जीवन का एकमात्र लक्ष्य आतंक फैलाना होता है ।
विभिन्न भयोत्पादक उपायों के द्वारा आतंक फैलाकर आतंकवादी सरकार पर अपनी अनुचित माँगों के लिए दबाव डालने का प्रयास करते हैं ।
इस प्रयास में आतंकवादी अपनी जान जोखिम में डालने से भी नहीं घबराते । आजकल विभिन्न आतंकवादी संगठनों द्वारा ऐसे ही आत्मघाती दस्ते अधिक तैयार किए जा रहे हैं । इन दस्तों में शामिल आतंकवादियों को जान लेने और देने का ही प्रशिक्षण दिया जाता है ।
आज आतंकवाद ने सारे विश्व में युद्ध की सी स्थिति उत्पन्न कर दी है । युद्ध और आतंकवाद में अन्तर केवल इतना है कि युद्ध में दो सशस्त्र सेनाएँ आमने-सामने होती हैं और नियमों के अनुसार दोनों अपने अपने सैन्य बल का प्रयोग करती हैं, जबकि आतंकवाद सभी नियमों को ताक पर रखकर कभी भी कहर बनकर बेगुनाहों पर टूट पड़ता है ।
आतंकवाद के युद्ध में आतंकवादी पक्ष तो पूर्णतया प्रशिक्षित और हथियारयुक्त होता है, लेकिन दूसरा पक्ष निहत्थे आम नागरिक होते हैं । वास्तव में आतंकवाद एक युद्ध नहीं, बल्कि मानवता के शत्रुओं का मानव जाति पर एकतरफा हमला है ।
विश्व के लगभग सभी देश आतंकवाद की समस्या के प्रति चिंतित हैं और आतंकवाद को काबू में करने के यथासम्भव प्रयास कर रहे हैं । परन्तु आतंकवादी संगठनों की शक्ति किसी सेना से कम नहीं है । विभिन्न क्षेत्रों में गुप्त रूप से आतंकवादी संगठनों के प्रशिक्षण शिविर चल रहे हैं । उनके पास आधुनिक हथियारों और गोला-बारूद की भी कमी नहीं है ।
इन आतंकवादी संगठनों को कुछ देशों का समर्थन भी प्राप्त हो रहा है । इस स्थिति में आतंकवाद पर काबू पाना मानव-समाज के लिए अयंत कठिन हो गया है । हमारे देश में कुछ आतंकवादियों ने सरकार के सामने आत्मसमर्पण भी किया है । इन भटके हुए युवा आतंकवादियों ने स्वीकार किया कि उन्हें बहला फुसलाकर धर्म के नाम पर आतंकवादी बनने पर विवश किया गया था ।
उन्होंने अपनी भूल स्वीकार की और प्रायश्चित के लिए हथियार त्याग दिए । आतंकवादी संगठनों में शामिल हुए युवाओं में इसी भावना के जागृत होने की आवश्यकता है तभी आतंकवाद का अन्त हो सकता है ।
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