निबंध , जीभ के संयम के बिना रोगों और डॉक्टरों से मुक्ति नहीं मिल सकता है
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जीभ का रंग-रूप देखकर बहुत कुछ समझ आ जाता है इसलिए डॉक्टर चेकअप के दौरान सबसे पहले मरीज से इसे दिखाने को कहते हैं। आइए जानें, जीभ के रंग से रोगों के बारे में और उनके उपाय...।
सफेद पैचेज या धब्बेनुमा रचनाएं संकेत : जीभ पर कैंडिडा नाम की फफूंद का जमना। ये यीस्ट प्रजाति की होती है और बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाती।
उपाय : एंटीफंगल दवा से कुल्ला करने या दवा खाने से ठीक हो सकती है। टंग क्लीनर से जीभ रोजाना साफ करें।
कालापन और बाल जैसी संरचना संकेत : ये रंग-रूप भी फफूंद का इंफेक्शन, डायबिटीज, कीमोथैरेपी या मुंह की ठीक से देखभाल न होना बताती है।
उपाय : डॉक्टर को दिखाएं और मुंह-जीभ को हमेशा साफ रखें। साथ ही कुछ भी खाने के बाद कुल्ला जरूर करें।
हल्के लाल और सफेद स्पॉट्स संकेत : ये जीभ का सबसे सामान्य रूप है। सफेद धब्बे वहां दिखाई पड़ते हैं जहां टेस्ट बड्स थोड़े घिस जाते हैं।
उपाय : चिंता की कोई बात नहीं। किसी उपचार की जरूरत नहीं। साफ-सफाई का ध्यान रखें। मसालेदार भोजन से परहेज करें।
एकदम लाल संकेत : शरीर में फॉलिक एसिड, विटामिन-बी12 या आयरन की कमी। बुखार या गले में इंफेक्शन के कारण हो सकता है।
उपाय : विटामिन की टेबलेट्स ली जा सकती हैं लेकिन डॉक्टर को दिखाएं और उनके बताए अनुसार ही ट्रीटमेंट लें।
जालनुमा या पट्टीदार सफेद निशान संकेत : ओरल लाइचेन प्लेनस बीमारी के लक्षण हो सकते हैं। इसमें इम्यून सिस्टम शरीर को नुकसान पहुंचाने लगता है।
उपाय : डॉक्टर को तुरंत दिखाकर जांच कराएं। ट्रीटमेंट में देर न करें। माउथवॉश का इस्तेमाल कर सकते हैं।
कटी-फटी या आरीनुमा संकेत : ये सामान्य अवस्था है। सोते समय हम दांतों से जीभ को दबाते हैं जिससे ऐसा हो सकता है।
उपाय : ये अपने आप ठीक होती है। अगर घाव गहरा है और खाने में दिक्कत हो तो डॉक्टरी सलाह लें।
छाले, अल्सर या उभार संकेत : ये 'कैंकर सोर' होते हैं जिन्हें मुंह के छाले कहते हैं। ये हर्पीज नामक गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकते हैं।
उपाय : डॉक्टर को दिखाएं, वे गंभीरता और स्थिति के आधार पर इलाज तय करते हैं।