निबंध
जब मैंने पहली बार गणतंत्र दिवस पर भाषण दिया ।"
Answers
Explanation:
आज से सात दशक पहले, 26 जनवरी को, हमारा संविधान लागू हुआ था। उसके पहले ही इस तारीख का विशेष महत्व स्थापित हो चुका था। 'पूर्ण स्वराज' का संकल्प लेने के बाद हमारे देशवासी, 1930 से 1947 तक, प्रतिवर्ष 26 जनवरी को 'पूर्ण स्वराज दिवस' मनाया करते थे। इसीलिए सन 1950 में उसी ऐतिहासिक दिवस पर, हम भारत के लोगों ने, संविधान के आदर्शों के प्रति आस्था व्यक्त करते हुए, एक गणतंत्र के रूप में, अपनी यात्रा शुरू की। और तब से प्रतिवर्ष 26 जनवरी को हम गणतन्त्र दिवस मनाते हैं।
आधुनिक गणराज्य की शासन व्यवस्था के तीन अंग होते हैं - विधायिका, कार्य-पालिका और न्याय-पालिका। ये तीनों अंग स्वायत्त होते हुए भी एक दूसरे से जुड़े होते हैं और एक दूसरे पर आधारित भी होते हैं। परंतु वास्तव में तो लोगों से ही राष्ट्र बनता है।'हम भारत के लोग' ही अपने गणतंत्र का संचालन करते हैं। अपने साझा भविष्य के बारे में निर्णय लेने की वास्तविक शक्ति हम भारत के लोगों में ही निहित है।
हमारे संविधान ने, हम सब को एक स्वाधीन लोकतंत्र के नागरिक के रूप में कुछ अधिकार प्रदान किए हैं। लेकिन संविधान के अंतर्गत ही, हम सब ने यह ज़िम्मेदारी भी ली है कि हम न्याय, स्वतंत्रता और समानता तथा भाईचारे के मूलभूत लोकतान्त्रिक आदर्शों के प्रति सदैव प्रतिबद्ध रहें। राष्ट्र के निरंतर विकास तथा परस्पर भाईचारे के लिए, यही सबसे उत्तम मार्ग है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन-मूल्यों को अपनाने से, इन संवैधानिक आदर्शों का अनुपालन हम सबके लिए और भी सरल हो जाता है। ऐसा करते हुए, हम सब, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को और भी सार्थक आयाम दे सकेंगे।