Hindi, asked by ranukubrey, 1 year ago

निबंध की कौन कौन सी शैलियाँ है? उनके नाम लिखकर किसी एक शैली को समझाईये​

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Answered by sk004
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निबन्ध (Essay) गद्य लेखन की एक विधा है। लेकिन इस शब्द का प्रयोग किसी विषय की तार्किक और बौद्धिक विवेचना करने वाले लेखों के लिए भी किया जाता है। निबंध के पर्याय रूप में सन्दर्भ, रचना और प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जाता है। लेकिन साहित्यिक आलोचना में सर्वाधिक प्रचलित शब्द निबंध ही है। इसे अंग्रेजी के कम्पोज़ीशन और एस्से के अर्थ में ग्रहण किया जाता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार संस्कृत में भी निबंध का साहित्य है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के उन निबंधों में धर्मशास्त्रीय सिद्धांतों की तार्किक व्याख्या की जाती थी। उनमें व्यक्तित्व की विशेषता नहीं होती थी। किन्तु वर्तमान काल के निबंध संस्कृत के निबंधों से ठीक उलटे हैं। उनमें व्यक्तित्व या वैयक्तिकता का गुण सर्वप्रधान है।

इतिहास-बोध परम्परा की रूढ़ियों से मनुष्य के व्यक्तित्व को मुक्त करता है। निबंध की विधा का संबंध इसी इतिहास-बोध से है। यही कारण है कि निबंध की प्रधान विशेषता व्यक्तित्व का प्रकाशन है।

निबंध की सबसे अच्छी परिभाषा है-

निबंध, लेखक के व्यक्तित्व को प्रकाशित करने वाली ललित गद्य-रचना है।

इस परिभाषा में अतिव्याप्ति दोष है। लेकिन निबंध का रूप साहित्य की अन्य विधाओं की अपेक्षा इतना स्वतंत्र है कि उसकी सटीक परिभाषा करना अत्यंत कठिन है।

Answered by AbsorbingMan
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Answer:

निबंध की शैलियाँ -

1-विचारात्मक--समाज,धर्म,दर्शन आदि पर लिखे जाने वाले निबंध इसी श्रेणी में आते है।यो तो कोई भी रचना विचार शून्य नहीं होती लेकिन इस तरह के निबंधों को हम विचार प्रधान निबंध कह सकते है।

2-भावात्मक निबंध-इसमे व्यक्तिगत और सामाजिक अनुभवो को भावपूर्ण ढंग से लिखा जाए तो यह निबंध विचार प्रधान न रहकर भावात्मक निबन्ध की श्रेणी में आते है।

3-वर्णात्मक निबन्ध-यात्रा वर्णन ,किसी घटना का वर्णन आदि से सम्बंधित विचार इसी श्रेणी में आते है।

Explanation:

निबन्ध लेखन के समय मूलतः 3 बातो का ध्यान रखा जाता है

1-प्रस्तावना

2-विषय प्रतिपादन

3-उपसंहार।

*कुछ और महत्वपूर्ण बाते भी है जैसे-

1-विषय की जानकारी पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिये।

2-विषय में क्रम न टूटे।

3-काव्य पंक्तिया,मुहावरे,लोकोक्तिया,उद्धाहरण निबन्ध में प्रभाव और जिज्ञासा बढ़ाते है।

4-भाषा विषय के अनुकूल हो।

5-विषय में अपेक्षित विस्तार होना चाहिये।

6-निबंध में पूरा निबंध होने पर लगना चाहिए कि वास्तव में विषय से सम्बंधित अधिकतम पहलुओं को छु लिया गया है।

7-आवश्यक नहीं कि निबंध विषय पर अंतिम रूप से निष्कर्ष देने वाला हो।

जिज्ञासा और प्रश्न उठाने वाले निबन्ध भी होते है।

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