निबंध कला की दृष्टि से कछुआ कला निबंध की विशेअत्य
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निबंध कला की दृष्टि से ‘कछुआ धर्म 'निबंध की विशेषताएं बताइए |
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निबंध कला की दृष्टि से कछुआ धर्म निबंध एक व्यंग्यात्मक निबंध है जिसके माध्यम से लेखक कछुआ धर्म का उदाहरण देते हुए मनुष्य के व्यवहार की तुलना की है |
कछुआ धर्म से तात्पर्य मनुष्य की उस व्यवहार से है ,
जिनमें वह समस्या का सामना नहीं करना चाहता
और कोई भी विपत्ति संकट या समस्या आने पर
इस तरह की प्रतिक्रिया करता है| जैसे उसमें समस्याओं का समाधान कर लिया है लेकिन वार्ता में समस्या से बचा है|
रचना भोज निबंध के लेखक चंद्रधर शर्मा गुलेरी के
अनुसार कछुआ ऐसा प्राणी होता है ,जो किसी भी
अनुसार कुछ ऐसा प्राणी होता है |जो किसी भी तरह
के संकट आने पर अपने समस्त अंगूर को अपने
खोल में छुपा देता है ,
और वह मान कर चलता है|
जबकि वास्तव में समस्या उसके उसके पास ज्यों
की त्यों होती है |इसी तरह हमारी हिंदुस्तानी सभ्यता
भी कछुआ धार्मिक राही है जो समस्या का समाधान
करके उसे हटाने की जगह से बचने की कोशिश करती
है और यह मानकर चलते हैं कि हमने समस्या का निधन
कर दिया है
कछुआ धर्म कायरता का प्रतीक है जो समस्या का सामना करने की जगह समस्या से बचने की प्रवृत्ति पैदा करता है |