Hindi, asked by veenadewasi1732, 5 months ago

निबंध लिकिए परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा
1 परीक्षा नाम से भय
2 प्रयाप्त तयारी
3 प्रश्न पत्र देखकर भय दूर हुआ​

Answers

Answered by kumarimanisha8219
4

Answer:

परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा

संकेत बिंदु

परीक्षा नाम से भय

पर्याप्त तैयारी

प्रश्नपत्र देखकर भय दूर हुआ

छात्र जीवन , जीवन का सबसे सुनहरा दौर होता है। जब बच्चे मौज-मस्ती के साथ-साथ खूब मेहनत कर अपने जीवन को एक दिशा देने के लिए प्रयासरत रहते है। लेकिन इस जीवन में “परीक्षा” नाम के एक शब्द से सभी छात्रों को बहुत अधिक डर लगता है। हो भी क्यों ना , क्योंकि इन्हीं परीक्षाओं के मूल्यांकन के आधार पर हमारे भविष्य की रूपरेखा तय होती हैं। इसीलिए जैसे-जैसे मेरी परीक्षायें नजदीक आ रही थी । मेरे अंदर डर बढ़ता जा रहा था।

हालाँकि अब मैं अपना अधिक समय पढ़ाई में ही बिता रहा था। हर विषय के हर अध्याय को बार-बार दोहरा कर याद करने की कोशिश कर रहा था। फिर भी मुझे यह डर लग रहा था कि कहीं परीक्षा की घबराहट में , मैं कुछ भूल न जाऊं। परीक्षा का तनाव कम करने के लिए मैं शाम को थोड़ी देर के लिए पास के ही एक पार्क में घूमने चला जाता था । परीक्षा शुरू होने के लगभग एक सप्ताह पहले ही मैंने अपने हर विषय की पर्याप्त तैयारी कर ली थी। लेकिन फिर भी मन में परीक्षा को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं थीआखिरकार परीक्षा का दिन आ पहुंचा। मैं सुबह जल्दी उठकर अपनी सारी तैयारी के साथ परीक्षा भवन में पहुंच गया। प्रश्नपत्र मिलने से पहले भी मन में डर समाया हुआ था लेकिन मैंने अपने आप को तनावमुक्त रखने का भरसक प्रयास किया। आखिरकार हमारे क्लास टीचर ने हमें प्रश्नपत्र दिया। प्रश्न पत्र लेने के बाद मैंने हर प्रश्न को ध्यान से पढ़ना शुरू किया और 10 मिनट तक पढ़ता चला गया ।

पूरे प्रश्नपत्र को पढ़ने के बाद मुझे लगा कि मैं इस प्रश्नपत्र को आसानी से हल कर सकता हूं क्योंकि मुझे सभी प्रश्नों के जवाब याद थे। अब मेरी सारी घबराहट दूर हो चुकी थी। और मैं आराम से एक-एक कर सभी प्रश्नों के उत्तर लिखने में व्यस्त हो गया।

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