निबंध लिखे
1. जीवन मैं खेलों का महत्व
2. मेरे सपनों का भारत
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Answer:
⭐जीवन मैं खेलों का महत्व⭐
प्रस्तावना–
विद्यार्थी काल जीवन–निर्माण का समय होता है। इस समय मनुष्य को भावी जीवन के लिए स्वयं को तैयार करना होता है। सफल और सुखद भविष्य के लिए मनुष्य का स्वस्थ, शिक्षित, गुणवान और चरित्रवान होना आवश्यक है। छात्रावस्था में उसको इन सबको अर्जित करने का अवसर प्राप्त होता है।
खेलों का महत्त्व और प्रकार–
मनुष्य के व्यक्तित्व के निर्माण के लिए उत्तम तथा लक्ष्यपूर्ण शिक्षा प्राप्त होना जरूरी है। खेल भी शिक्षा का ही एक अंग है। कहावत प्रसिद्ध है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क होता है। खेल मनुष्य को शारीरिक तथा मानसिक रूप से स्वस्थ बनाते हैं।
नियमित रूप से कोई खेल खेलने से चित्त प्रसन्न रहता है तथा शरीर स्वस्थ और फुर्तीला रहता है। खेलों में शारीरिक अंगों का ठीक तरह विकास होता है। मन में उल्लास और उत्साह रहने से मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।
खेल अनेक प्रकार के होते हैं। कुछ खेल शारीरिक तो कुछ मानसिक होते हैं। शारीरिक खेल खेलने में शरीर से श्रम करना होता है तथा मानसिक खेलों में दिमाग के घोड़े दौड़ाने होते हैं। फुटबाल, हॉकी, बालीबाल, क्रिकेट, कबड्डी आदि को शारीरिक तथा शतरंज, ताश, चौपड़ आदि को मानसिक खेलों की श्रेणी में रखा जा सकता है।
खेलों का एक भेद और भी है। कुछ खेल बाहर खुले मैदान में खेले जाते हैं तो कुछ कमरे के अन्दर खेले जाते हैं। इनको क्रमशः ‘आउट डोर’ तथा ‘इनडोर’ खेल कहते हैं। आज तो सबसे प्रिय इनडोर गेम्स कम्प्यूटर स्क्रीन पर खेले जाने वाले कल्पित और समय संहारक गेम्स बने हुए हैं।
खेल और स्वास्थ्य–
खेलों का हमारे स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध है। खेल खेलने से शरीर सबल, चुस्त तथा स्वस्थ बनता है। शरीर के साथ मन–मस्तिष्क के विकास में भी खेल सहायक होते हैं ! इस तरह खेल हमारे शरीर को पूरी तरह स्वस्थ तथा कार्यक्षम बनाते हैं। छात्र जीवन में शिक्षा ग्रहण करते समय हम अपने शरीर को स्वस्थ और सबल बनाकर भविष्य में प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
खेल और मनुष्य का व्यक्तित्व–
खेल मनुष्य के व्यक्तित्व का निर्माण करने में भी सहायक होते हैं। खेलों से हम भाईचारा, टीम भावना अर्थात् मिलजुलकर काम करने की शिक्षा ग्रहण करते हैं।
खेल आपस में छोटे–
बड़े का भाव और भेदभाव मिटाकर सच्ची एकता का निर्माण करते हैं। खेलों से परस्पर सम्मान और स्नेह का भाव भी बढ़ता है। इस तरह खेल हमें गुणवान् और चरित्रवान बनाते हैं। खेल हमें सच्चा मनुष्य बनाकर हमारे व्यक्तित्व का निर्माण करते हैं।
नवता के विकास का श्रेष्ठ उपाय हैं। उनकी उपलब्धियाँ अनन्त हैं। आज खेलों को राजनीतिज्ञों द्वारा सृजित दूषित वातावरण से बचाने की प्रबल आवश्यकता है। राजनीति के दोष जीवन के हर क्षेत्र में उतरते जा रहे हैं। खेलों पर भी उनके दुष्प्रभाव सामने आ चुके हैं। अतः सजग रहने की आवश्यकता है।
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