४। निबंध लिखे (किन्ही एक) देशपर महामारी कोरोना का प्रभाव अथवा मेरा प्रिय खेल
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जब पश्चिम यूरोप और एशिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण काफ़ी हद तक नियंत्रित दिखाई दे रहा है तब दुनिया के कुछ हिस्सों में यह महामारी काफ़ी तेज़ी से फैलती दिख रही है.
संक्रमित हो चुके एक करोड़ लोगों में से पहले दस लाख लोगों तक इस वायरस को पहुँचने में तीन महीने का समय लगा था. लेकिन अंतिम दस लाख लोगों (90 लाख से एक करोड़ तक) को अपनी चपेट में लेने में कोरोना को सिर्फ़ आठ दिन लगे.
यह आँकड़ा सिर्फ़ उन लोगों पर आधारित है जिनका कोविड-19 टेस्ट किया गया, इसे ध्यान में रखते हुए कुछ वरिष्ठ लैटिन अमरीकी स्वास्थ्य अधिकारी मानते हैं कि ‘यह संक्रमितों की असल संख्या का एक मामूली हिस्सा मात्र है.’ग्राफ़ पर नज़र डालें तो फ़िलहाल अमरीका, दक्षिण एशिया और अफ़्रीका का पैटर्न चिंताजनक है.अमरीका – जो कोरोना वायरस संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित है और कोविड-19 से सबसे अधिक मौत भी वहीं हुई है. वहाँ एक बार फिर मामलों में तेज़ उछाल देखा गया है.
बीते कुछ दिनों में अमरीका में कोरोना संक्रमण के मामलों में जो तेज़ी आई है. उसने एक नया रिकॉर्ड भी बनाया है जो एक दिन में 40 हज़ार से ज़्यादा नए मामले सामने आने का है.
अमरीका में न्यूयॉर्क के बाद, एरीज़ोना, टेक्सस और फ़्लोरिडा को महामारी का बड़ा केंद्र माना जा रहा है.
विशेषज्ञों की राय है कि यह अमरीका में महामारी की दूसरी लहर नहीं है बल्कि महामारी अब उन राज्यों में तेज़ी से फैल रही है जहाँ लॉकडाउन को बहुत मामूली मूल्यांकन के बाद, सही समय से पहले हटा लिया गया है.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, भारत में अब तक पाँच लाख 48 हज़ार से अधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं जिनमें 2 लाख 10 हज़ार से अधिक मरीज़ अब भी संक्रमित हैं यानी उनमें बीमारी के लक्षण हैं या उनकी रिपोर्ट अब तक निगेटिव नहीं आई है.
भारत सरकार के अनुसार इस महामारी की चपेट में आ चुके लोगों के ठीक होने की संख्या, मौजूदा समय में संक्रमित मरीज़ों से ज़्यादा है. सरकार के अनुसार, तीन लाख 21 हज़ार से ज़्यादा मरीज़ पूरी तरह ठीक हो चुके हैं.
लेकिन भारत में भी टेस्टिंग कम की जा रही है, ख़ासतौर पर उन राज्यों में जहाँ आबादी का घनत्व बहुत अधिक है. ऐसे में संक्रमितों की असल संख्या सरकारी डेटा से अनिवार्य रूप से अधिक होगी.
पर ऐसा हो क्यों रहा है? विकासशील देशों में भीड़भाड़ वाले इलाक़ों में रहने को मजबूर, वंचित समुदायों के लिए इस महामारी को सर्वाधिक ख़तरनाक समझा गया है. कोविड-19 के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेष प्रतिनिधि डेविड नोबार्रो के अनुसार, कोरोना वायरस संक्रमण ‘ग़रीबों की बीमारी’ बन गया है.