निबंध लेखन का महत्व 1. साक्षरता
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अगर हमें समाज में बसे जीवन को समझना है, तो हमें साक्षरता का महत्व भी समझना होगा। वर्तमान समय में दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए साक्षर होना बेहद आवश्यक है। साक्षरता हर उस व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, जिनकी आकांक्षा जीवन से कुछ ज्यादा है। क्योंकि पढ़ा लिखा इंसान ही खुद को और समाज की सोच को बदल सकता है। साक्षरता विकास की आधारशिला है। यह बेहतर स्वास्थ्य, बेहतर रोजगार के अवसर, सुरक्षित और अधिक स्थिर समाज की ओर ले जाता है।
भारत में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार साक्षरता का शाब्दिक अर्थ यह होता है की कोई व्यक्ति अपना नाम लिखने के और पढ़ने के काबिल हो जाये तो उसे साक्षर माना जाता है।
साक्षर व्यक्ति खुद के बौद्धिक विकास के साथ साथ सामाजिक और आर्थिक विकास में भी अपना योगदान देता है। केवल साक्षर व्यक्ति एक सभ्य समाज का निर्माण कर सकता है। वो समाज में फैली हुई बुराइयों से दूर रहना ही पसंद करता है।
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भूमिका- आज का युग शिक्षा का युग है जिसमें हर व्यक्ति का साक्षर होना अति आवश्यक है। साक्षरता का अर्थ पढ़ने और लिखने से हैं। साक्षरता व्यक्ति को अक्षरों का ग्यान देती है। साक्षरता से ही किसी भी देश की गुणवत्ता की पहचान होती है। साक्षरता हर देश की मूल आवश्यकता होती है।
साक्षर– भारत में किसी भी व्यक्ति को साक्षर तब कहा जाता है जब वह अपना नाम लिख और पढ़ सके। उसे पैसों का हिसाब किताब करना अथवा समझना आता है।
साक्षरता दर- साक्षरता दर किसी भी क्षेत्र की पढी लिखी जनसंख्या का वहाँ के लोगों की संख्या से अनुपात है जिसे ज्यादातर प्रतिशत में देखा जाता है।
प्राचीन काल में साक्षरता- प्राचीन काल में लोग बहुत ही सरल होते हैं और उनकी जरूरते भी न्यूनतम होती है। उस समय बहुत ही कम लोग साक्षर होते थे। जिस समय भारत आजाद हुआ था उस समय भारत की साक्षरता दर केवल 12 प्रतिशत थी।
साक्षरता की आवश्यकता- धीरे धीरे जब मनुष्य ने प्रगति करनी शुरू की तो अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए उसे पढ़ने और लिखने की आवश्यकता महसुस हुई। साक्षर व्यक्ति ही देश के हित के लिए कार्य कर सकता है अन्यथा निरक्षर व्यक्ति को इस युग में अपनी जरूरतों को भी पूरा करने में असक्षम है। साक्षरता ही है जो मनुष्य को सफल होने में सहायता करती है। साक्षर व्यक्ति को कोई भी ठग नहीं सकता है और उसका शोषण नहीं किया जा सकता है
साक्षरता के लिए उठाए गए कदम- भारतीय सरकार ने साक्षरता दर को बढ़ाने और लोगों को साक्षर बनाने के लिए बहुत से प्रयास किए है। इसके लिए राष्ट्रीय साक्षरता मिशन आदि चलाए गए थे। शिक्षा के अधिकार के लागु होने के बाद से साक्षरता दर में वृद्धि हुई है और लोगों को शिक्षा की तरफ बढ़ावा दिया है।
आधुनिक युग में साक्षरता दर- आज के समय में भारत ने बहुत से राज्यों में पूर्ण रूप से साक्षरता दर को प्राप्त कर लिया है। केरल राज्य का साक्षरता दर सबसे ज्यादा है।
निष्कर्ष- साक्षरता की परिभाषा हर देश में अलग है। साक्षरता से ही हर व्यक्ति के जीवन का उदार होता है। हम सबको साक्षरता के हित में कदम उठाने चाहिए और देश को पूर्ण रूप से साक्षर बनाना चाहिए। साक्षरता से ही व्यक्ति अपने अधिकारों साक्षर व्यक्ति को अंधविश्वासों से भी मुक्ति मिलती है। शोषण होने से रोक सकता है और प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकता है।