निबंध लेखन की परंपरा एवं विकास par essayUrgent and 500 words
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परंपरा का ज्ञान होना उतना ही जरूरी है , जितना प्यासे व्यक्ति के लिए पानी | परंपरा से मनुष्य को पहचान होती है | परंपरा से हमें अपने रीती-रिवाजों के ज्ञान होता है | हमें जब हम अपनी परंपराओं को जानने का प्रयास करते हैं तो हमारा हमें बहुत कुछ जानने को मिलता है। परंपरा निभाने से हमारे समाज का विकास होता है | हमारे यहाँ भारत में चारों धाम घूमने की परंपरा है, इस परंपरा के पालन करने से हमें देश के भूगोल का ज्ञान होता है | बहुत सारी परम्पराएँ निभाने में बहुत मज़ा आता है जिनसे सीखने को मिलता है | जैसे विवाह में बहुत सारी परम्पराएँ निभानी होती है | बहुत सारे त्यौहार के जरिए हम परम्पराएँ निभाते है |कुछ परम्पराएँ जो मनुष्य को दुःख देती है , परेशान करती है हमें उन्हें छोड़ देना चाहिए |
आज भी समाज मैं बहुत सारी पुरानी परम्पराएँ है जो लोग मानते है , जैसे लकड़ियों को स्कूल नहीं जाने देना , उनकी जल्दी शादी करवा देना| भेद-भाव रखना , जाती-वाद , दहेज प्रथा यह सब हमें खत्म करने की जरूरत है | इसी पुरानी सोच के कारण हम पीछे है , हम विकास नहीं कर पा रहे है | विकास करने ले लिया नारी-पुरुष दोनों की सोच और साथ की जरूरत है |अगर हम यह सोच बदल देंगे और नया सोच बनाएंगे तभी समाज विकास करेगा |
अगर हम अपनी पुराने रीती-रिवाजों , परम्पराओं को छोड़ेंगे नहीं तो हम हमेशा पीछे रह जाएंगे , कभी भी तरक्की नहीं कर पाएंगे | हमारे समाज का विकास कभी नहीं हो पाएगा |
जैसे हम इतिहास को पलट कर देखते हैं तो हमारे अतीत में कई प्रकार के बदलाव आए है| हमें अपने इतिहास की बहुत सी परम्पराओं से सीखकर और कुछ परम्पराओं को छोड़ कर विकास की और आगे बढ़े है |
पहले आदि मानव किस प्रकार अपना जीवन व्यतीत करता था , धीरे-धीरे बदलाव के कारण वह बदलता गया और नए आविष्कार करता गया , और अच्छा जीवन व्यतीत करने लग गया | उन्हीं से सीख कर मनुष्य आगे बढ़ना चाहता है। वह अग्रसर होता है जब वह स्वयं को इन बदलावों में बदलने लग गया | यदि मनुष्य यह सब नहीं सीखता तो न ही उसे परंपरा का ज्ञान ना ही वह कभी विकास कर पाता | परंपरा और विकास का आपस में सम्बन्ध है | दोनों ही जीवन में बहुत जरूरी है |
परंपरा जीवन में बहुत कुछ सिखाने के काम आती है और विकास से हम आगे बढ़ते है |