१) निबंध लेखन
कोरोनाकाल में पर्यावरण परिवर्तन: कितना लाभदायक
Answers
Answer:
दुनिया भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या सवा छह लाख के करीब पहुंच चुकी है। कई देशों में पूरी तरह लॉकडाउन है। भारत समेत दुनिया की एक तिहाई जनसंख्या अपने घरों में कैद है। कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए किए गए इस लॉकडाउन ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को धरातल पर ला दिया। करोड़ों लोगों की नौकरियों खतरे में हैं। विशेषज्ञों का अनुमान है कि वैश्विक जीडीपी में 4 प्रतिशत की कमी आई है, जो 2008 के वित्तीय संकट से दोगुना है। लॉकडाउन के बीच आर्थिक नुकसान जरूर हो रहा है। इस बीच एक सुकून भरी खबर भी है। गाड़ियों की आवाजाही पर रोक लगने और ज्यादातर कारखानें बंद होने के बाद दुनिया समेत देश के कई शहरों की हवा की क्वालिटी में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। जिन शहरों की एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी AQI खतरे के निशान से ऊपर होते थे। वहां आसमान गहरा नीला दिखने लगा है।लॉकडाउन के कारण प्रदूषण कितना कम हुआ?
दुनिया भर में लॉकडाउन की स्थिति में रहने वाले 300 करोड़ से अधिक लोगों के साथ, वैश्विक अर्थव्यवस्था के कई महत्वपूर्ण क्षेत्र ठप हो गए हैं। परिवहन, जो वैश्विक कार्बन उत्सर्जन का लगभग एक चौथाई हिस्सा बनाता था, उसमें गिरावट आई है। न तो सड़कों पर वाहन चल रहे हैं और न ही आसमां में हवाई जहाज। बिजली उत्पादन और औद्योगिक इकाइयों जैसे अन्य क्षेत्रों में भी बड़ी गिरावट आई है। इससे वातावरण में डस्ट पार्टिकल न के बराबर हैं और कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन भी सामान्य से बहुत अधिक नीचे आ गया है। इस तरह की हवा मनुष्यों के लिए बेहद लाभदायक है। इसके अलावा रुक-रुक कर हुई बारिश ने भी धूल के कण और कार्बन पार्टिकल को आसमान से जमीन पर नीचे बैठाने का काम किया। इससे भारत, चीन, अमेरिका, इटली, स्पेन और यूके के कई प्रमुख शहरों में जहरीली गैस का उत्सर्जन थमने से वायु गुणवत्ता बेहतर हुई है।