Hindi, asked by paultapak1924, 5 hours ago

निबंध लेखन - कोरोना पीड़ित की आत्मकथा | लगभग 80 से 100 शब्दों मे निबंध लिखिए | ​

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Answered by ItzMissNaincy
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कोरोना वायरस की वजह से हमारे जीवन में व्यापक बदलाव आए हैं. ना केवल हमारे निजी जीवन पर बल्कि हमारे रिश्तों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है.

कोरोना वायरस की वजह से हमारे जीवन में व्यापक बदलाव आए हैं. ना केवल हमारे निजी जीवन पर बल्कि हमारे रिश्तों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है.लेकिन महामारी के इस दौर में हम ख़ुद और अपनो को कैसे बचाएं और कैसे सुरक्षित रखें इसके लिए तमाम तरह की जानकारी, सुझाव और सलाह मौजूद हैं.

कोरोना वायरस की वजह से हमारे जीवन में व्यापक बदलाव आए हैं. ना केवल हमारे निजी जीवन पर बल्कि हमारे रिश्तों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है.लेकिन महामारी के इस दौर में हम ख़ुद और अपनो को कैसे बचाएं और कैसे सुरक्षित रखें इसके लिए तमाम तरह की जानकारी, सुझाव और सलाह मौजूद हैं.लेकिन क्या हर सलाह आपके लिए फ़ायदे की है? ज़रूरी नहीं.

कोरोना वायरस की वजह से हमारे जीवन में व्यापक बदलाव आए हैं. ना केवल हमारे निजी जीवन पर बल्कि हमारे रिश्तों पर भी इसका प्रभाव पड़ा है.लेकिन महामारी के इस दौर में हम ख़ुद और अपनो को कैसे बचाएं और कैसे सुरक्षित रखें इसके लिए तमाम तरह की जानकारी, सुझाव और सलाह मौजूद हैं.लेकिन क्या हर सलाह आपके लिए फ़ायदे की है? ज़रूरी नहीं.ये कुछ ऐसे टिप्स हैं, जो आपके लिए फ़ायदे के साबित हो सकते हैं.

अपनी आंखों को छूने से बचें, नाक और मुंह पर भी हाथ लगाने से बचें. हम अपने हाथ से कई सतहों को छूते हैं और इस दौरान संभव है कि हमारे हाथ में वायरस चिपक जाए. अगर हम उसी अवस्था में अपने नाक, मुंह और आंख को छूते हैं तो वायरस के शरीर में प्रवेश की आशंका बढ़ जाती है.

above is the answer for the question

Answered by ar6922217
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Answer:

मेरा नाम रोहित कुमार है। मेरी अपने घर के पास ही एक किराना दुकान है। कोरोना महामारी के चलते संपूर्ण देश में लॉकडाउन लगाया गया था। सभी दुकाने, रस्ते, मॉल, सिनेमाघर, बस, रेलवे, हवाई जहाज सब कुछ बंद था। लेकिन अत्यावश्यक सेवाओं में शामिल किराना दुकान, अस्पताल, मेडिकल, दूध की दुकान इत्यादि सभी खुले थे।

मुझे भी कोरोना से डर लग रहा था। लेकिन लोगों को जरुर सामान मुहैया कराने के लिए मुझे दुकान खुली रखना आवश्यक था। मैं पूरी सावधानी के साथ काम कर रहा था। ग्राहकों से दूरी रखकर सामान दे रहा था। साथ ही समय-समय पर हाथों को सैनिटाइजर और पानी से धो रहा था। लेकिन इतनी सावधानी बरतने के बाद भी मुझे कोविड-19 हो गया। शुरुआत में तो मुझे बुखार आया, गले में दर्द और खांसी जुकाम महसूस होने लगा। मैंने तुरंत खुद को अपने परिवार से अलग कर लिया। मैं एक कमरे में अकेला रहने लगा।

बुखार के पहले दिन मैंने अपने फैमिली डॉक्टर के पास जाकर कुछ दवाइयां ली। लेकिन फिर भी बुखार कम होने का नाम नहीं ले रहा था। फिर डॉक्टर ने मुझे कोरोना टेस्ट करने को कहा। डरते डरते मैंने कोरोना का भी टेस्ट किया और अपने घर आ गया। दोपहर में एक एंबुलेंस हमारे घर के पास आई। उसमें से 2 डॉक्टर बाहर आए उन्होंने मुझे एंबुलेंस में बिठाया और अस्पताल ले गए। मेरे साथ परिवार के सभी सदस्यों को भी आइसोलेट किया गया। जिस बात का डर था वही हुआ। मैं कोरोना की चपेट में आ चुका था।

अस्पताल में मेरे साथ कई लोग इस बीमारी से पीड़ित थे। कुछ लोगों की बीमारी कम थी तो कुछ मुझसे भी ज्यादा भयंकर अवस्था में थे। डॉक्टर और अस्पताल के कर्मचारी पूरी श्रद्धा से पीड़ितों की सेवा कर रहे थे। मेरे वार्ड में कई सीरियस पेशेंट थे। डॉक्टर दिन में से दो बार आकर सभी पेशेंट को चेक किया करते थे। कर्मचारियों द्वारा सुबह का नाश्ता चाय दोपहर और रात का भोजन दिया जाता था। अस्पताल में मेरे कई दोस्त बन गए। मैं जिस से भी मिलता उससे हंस कर बात करता उन्हें धैर्य बनाए रखने की सलाह देता। लेकिन अस्पताल के मेरे कई दोस्त धैर्य हार कर मृत्यु को प्राप्त हो रहे थे यह सब देख में काफी व्यथित था।

अस्पताल में मेरे सामने वाले बेड पर एक बूढ़ी औरत थी। लेकिन उस औरत के चेहरे पर मृत्यु का जरा भी डर नहीं था। एक बार मैंने उनसे जाकर पूछा, "माजी क्या आपको कोरोना से मृत्यु का डर नहीं लगता"? उस औरत ने हंसकर जवाब दिया, "बेटे, जीवन मरण तो ऊपरवाले के हाथ में है। इसलिए चिंता करके कोई फायदा नहीं। हमे जो भी पल मिले है उन्हें खुशी के साथ जीना चाहिए। उस औरत की यह बात सुनकर मुझे काफी आधार मिला। मै सोचने लगा जब एक बूढ़ी औरत जिसका शरीर पहलेसेही इतना कमजोर है जब वो नहीं डर रह तो मै तो हट्टा कट्टा नौजवान हूं। मुझे तो किसी से नहीं डरना चाहिए।

कुछ ही दिनों मै वह औरत ठीक हो कर घर निकल गई। मै भी अब पहले से काफी बेहतर महसूस कर रहा था। देखते ही देखते मेरे भी 15 दिन पूरे हो गए और मै और मेरा पूरा परिवार सुरक्षित घर वापस आ गए। घर आने के बाद हमारे पड़ोसियों ने हमारा तालियों तो साथ स्वागत किया। यह सब देख मेरी आंखें भर आई। मुझे खुशी हुई कि मैंने कोरोना जैसी बीमारी को हरा दिया। और यह सब हुआ सिर्फ और सिर्फ मेरे सकारात्मक नजरिए के कारण। इसलिए को भी लोग बीमार है उनसे मेरी यही सलाह है कि सकारात्मक रहे। और बिना डरे हर समस्या का सामना करे।

---समाप्त---

Explanation:

Thanks

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