निबंध लेखन - किसी एक विषय पर निबंध लेखन कीजिए। (अंक - ६) १) जीवन में गुरु का महत्व २) पर्यावरण और हम
Answers
Explanation:
) वन और पर्यावरण का सम्बन्ध
संकेत-बिंदु -
वन प्रदुषण-निवारण में सहायक,
वनों की उपयोगिता,
वन संरक्षण की आवश्यकता,
वन संरक्षण के उपाय।
वन और पर्यावरण का बहुत गहरा सम्बन्ध है। प्रकृति के संतुलन को बनाये रखने के लिए पृथ्वी के 33% भाग को अवश्य हरा-भरा होना चाहिए। वन जीवनदायक हैं। ये वर्षा कराने में सहायक होते हैं। धरती की उपजाऊ शक्ति को बढ़ाते हैं। वनों से भूमि का कटाव रोका जा सकता है। वनों से रेगिस्तान का फैलाव रुकता है, सूखा कम पड़ता है। इससे ध्वनि प्रदुषण की भयंकर समस्या से भी काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। वन ही नदियों, झरनों और अन्य प्राकृतिक जल स्रोतों के भण्डार हैं। वनों से हमें लकड़ी, फल, फूल, खाद्य पदार्थ, गोंद तथा अन्य सामान प्राप्त होते हैं। आज भारत में दुर्भाग्य से केवल 23 % वन बचे हैं। जैसे-जैसे उद्योगों को संख्या बढ़ रही है, शहरीकरण हो रहा है, वाहनों की संख्या बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे वनों की आवश्यकता और बढ़ती जा रही है। वन संरक्षण एक कठिन एवं महत्वपूर्ण काम है। इसमें हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी समझनी पड़ेगी और अपना योगदान देना होगा। अपने घर-मोहल्ले, नगर में अत्यधिक संख्या में वृक्षारोपण को बढाकर इसको एक आंदोलन के रूप में आगे बढ़ाना होगा। तभी हम अपने पर्यावरण को स्वच्छ रख पाएँगे। आज का युग विज्ञान का युग है। वर्तमान समय में विज्ञान ने हमें कम्प्यूटर के रूप में एक अनमोल उपहार दिया है। आज जीवन के हर क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग हो रहा है। जो काम मनुष्य द्वारा पहले बड़ी कठिनाई के साथ किया जाता था, आज वही काम कम्प्यूटर द्वारा बड़े ही आराम से किये जा रहे हैं। कंप्यूटर का उपयोग दिनो-दिन बढ़ता जा रहा है। कम्प्यूटर ने दुनिया को बहुत छोटा कर दिया है। इंटरनेट द्वारा गूगल, याहू एवं बिंग आदि वेबसाइट पर दुनियाभर की जानकारी घर बैठे ही प्राप्त की जा सकती है। इंटरनेट पर ई-मेल के द्वारा विश्व में किसी भी जगह बैठे व्यक्ति से संपर्क किया जा सकता है। इसके लिए केवल ई-मेल अकाउंट और पासवर्ड का होना आवश्यक होता है। कम्प्यूटर मनोरंजन का भी महत्वपूर्ण साधन है। इस पर अनेक खेल भी खेले जा सकते हैं। कुल मिलकर कहें तो कम्प्यूटर ने मानव जीवन को बहुत सरल बना दिया है। कम्प्यूटर सचमुच एक जादुई पिटारा है।
जीवन को सफल बनाने में गुरु अत्यंत ही महत्तवपूर्ण भूमिका निभाते हैं। माता - पिता हमारे प्रथम गुरु होते हैं। गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊँचा है। गुरु हमारे जीवन के मार्गदर्शक ( सही मार्ग दिखाने वाला व्यक्ति) हैं । गुरु हमें ज्ञान प्रदान करते है , हमें समाज में रहना सीखाते है , हमें सही - गलत में फर्क समझाते हैं। गुरु हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते है अर्थात् गुरु हमें अज्ञान के अंधकार से ज्ञान की प्रकाश की ओर ले जाते है। गुरु हमें इस काबिल बनाते है कि हम अपने पैरों पर स्वयं खड़े हो सके। आज जो विज्ञान इतनी प्रगती कर रहा है उसका श्रेय भी हमारे गुरु को जाता है। गुरु का जीवन एक दीपक के समान होता है जो स्वयं प्रज्ज्वलित हो कर दूसरों को प्रकाश प्रदान करता हैं। आगर आज इस संसार में गुरु ना होते तो ये संसार अज्ञान के अंधकार में डूबा रहता। संक्षेप में हम यह कह सकते हैं गुरु के बिना हमारा जवन अधूरा है।
पर्यावरण दो शब्दों से बनता है परि +आवरण ।"परि" का अर्थ जो हमारे चारों ओर है और "आवरण" का अर्थ जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। इस धरती का पर्यावरण ऐसा लगता है मानो स्वर्ग हो । परन्तु विज्ञान के प्रगति के दुष्परिणाम के कारण हमारा पर्यावरण दूषित होता जा रहा है। लोग पेड़ - पौधों को काँट देते है जिसके फल स्वरूप पर्यावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती ही जा रही है और ऑक्सीजन की मात्रा घटती ही जा रही है जो कि आज के दिनों में एक बहुत ही गंभीर समस्या है। कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ने से पर्यावरण लगातार गर्म होता जा रहा जिसके कारण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या उत्पन्न हो गई है।
पर्यावरण हमारे जीवन के लिए अत्यंत ही महत्तवपूर्ण है। प्रकृति के बिना जिवन का असंभव है। जीव - जन्तु भोजन प्रकृति से ही प्राप्त करते है। साँस लेने के लिए ऑक्सीजन भी पर्यावरण से ही प्राप्त करते हैं। अतः संक्षेप में हम यह कह सकते हैं प्रकृति के बिना इस धरती पर जीवन असंभव है। हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए।