निबंध लेखन (मेरा प्रिय पशु घोड़ा)
Points
(१) घोड़ा एक पालतू जानवर
(२) रंग रूप और आकार
(३) घोड़े का खान पान
(४) सवारी और बोझा ढोने का काम
(५) युद्ध में भी इनका उपयोग
(६) समझदार और वफादार प्राणी
(७) मनुष्य को हमेशा पशुओं से सदभावना रखनी चाहिए।
Answers
Answer:
घोड़ा शाकाहारी और पालतू जानवर होता है.
Explanation:
(2) घोड़े का वजन लगभग 300 से 600 किलो होता है.
(3) घोड़े की चार टांगे होती है.
(4) इसकी दो आंखें, दो कान और एक लंबी पूंछ होती है
घोड़े को प्रसिद्ध खेल पोलो को खेल खेलने के लिए भी उपयोग में लिया जाता है. वर्तमान में पूरे विश्व भर में घोड़ों की संख्या 6 करोड़ से भी ज्यादा है.
हिंदू सभ्यता में घोड़े को शक्ति का प्रतीक माना जाता है इसलिए हमारे देश में अश्वमेघ यज्ञ भी कराए जाते है. पुराने जमाने में व्यापारियों द्वारा सामान बेचने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता था और राजा-महाराजाओं द्वारा संदेश पहुंचाने के लिए भी काम में लिया जाता था.
भारत समेत अनेक देशों के द्वारा घोड़ों को सेना में भी काम में लिया जाता है.
उपसंहार
घोड़े का जितना महत्व है पुराने जमाने में था आज भी का महत्व उतना ही है. वर्तमान में घोड़े को उपयोग में लेने के तरीकों में बदलाव आया है इसको अब घुड़सवारी खेल खेलने और सैलानियों को घुमाने के लिए काम में लिया जाता है.
वर्तमान में इस को पालना बहुत खर्चीला होता है क्योंकि इसके लिए सारे का प्रबंध करना मुश्किल होता है.घोड़े को इनके साहस, शक्ति और वफादारी के लिए सम्मान की नजरों से देखा जाता है.
घोड़ा एक बुद्धिमान और शक्तिशाली जानवर है. घोड़े को इंसानों द्वारा एक पालतू जानवर के रूप में पाला जाता है. इसके 4 पैर होते है घोड़ा जब भी एक जगह खड़ा रहता है तब अपनी एक टांग को हमेशा ऊपर उठाए हुए रखता है.
यह विषय के सभी स्थानों पर पाया जाता है लेकिन यह ज्यादातर गर्म इलाके वाले स्थान पर ही रहना पसंद करता है.
इनका शरीर बहुत ही सुडौल होता है जिसके कारण यह दिखने में बहुत सुंदर लगते है. घोड़े की मांसपेशियां बहुत मजबूत होती है जिसके कारण यह है 80 से 90 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ सकता है. इसी कारण पुराने जमाने में युद्ध लड़ने के लिए घोड़े को ही काम में लिया जाता था.
हमारे देश में महाराणा प्रताप का चेतक नाम का घोड़ा बहुत प्रसिद्ध रहा है यह घोड़ा पलक झपकते ही हवा से बातें करने लग जाता था. इसी घोड़े की रफ्तार के कारण महाराणा प्रताप ने कई युद्ध जीते थे.
पुराने जमाने में माना जाता था कि जिसके पास ज्यादा घोड़े होते हैं वही युद्ध विजय प्राप्त करता है उसका कारण ही है कि घोड़े तेज दौड़ते हैं और तेज दौड़ने के कारण किसी भी युद्ध को जीतना संभव होता है.
घोड़ा पुरातन काल से ही परिवहन का साधन रहा है इसे लोग बोझा ढोने के लिए उपयोग में लेते है कुछ स्थानों पर घोड़े से हल जोड़कर खेत भी जोता जाता है. घोड़ा कुत्ते की तरह बहुत ही वफादार जानवर होता है यह अपने मालिक की एक आवाज पर दौड़ा चला आता है.
घोड़े का जीवनकाल लगभग 25 से 30 वर्ष का होता है लेकिन 19वी शताब्दी में Old Billy नाम का घोड़ा 62 वर्ष तक जीवित रहा था. पूरे विश्व में घोड़े की 160 से ज्यादा प्रजातियां पाई जाती है. सबसे अच्छी घोड़े की नस्ल अरबी घोड़ा होता है.
घोड़ा कई रंगों में पाया जाता है जैसे काला, भूरा, सफेद, नीला आदि रंगों के घोड़े पाए जाते है. घोड़े की दो आंखें होती हैं जो बहुत बड़ी होती हैं इसके 2 कान होते हैं जिनसे यह छोटी से छोटी आवाज़ भी सुन लेता है. घोड़ा हमेशा नाक से ही सांस लेता है.
घोड़े की गर्दन थोड़ी लंबी होती है और साथ ही इसके गर्दन के पीछे पीछे पर बड़े बाल होते है जिसके कारण जब भी है दौड़ता है तो इसके बाद हवा में लहराते है और यह देखने में बहुत ही सुंदर लगता है. घोड़े के एक लंबी पूंछ होती है जिस पर बड़े बाल होते है. घोड़े के बाल अन्य जानवरों की तुलना में बहुत मजबूत होते है.
कई स्थानों पर घोड़े के गोबर को खेतों में खाद के रूप में उपयोग में लिया जाता है. इसके चलने का तरीका अन्य सभी जानवरों से बहुत अलग होता है. इसकी ऊंचाई 5 से 6 फुट होती है. घोड़े के मुंह में 40 दांत होते है. यह आमतौर पर झुंड में रहना ही पसंद करता है और ऐसे इंसानों के करीब रहना भी बहुत पसंद है.
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सभी भाषाओं में घोड़े को अलग-अलग नाम दिए गए हैं जैसे कि अंग्रेजी भाषा में घोड़े को ‘स्टेलियन’ और घोड़ी को ‘मारे’ कहा जाता है जबकि जवान घोड़े को ‘Colt’ और जवान घोड़ी को ‘Filly’ बोला जाता है. घोड़े के पैरों के नीचे का भाग कठोर होता है जिसे हिंदी भाषा में ख़ुर्र भी कहते है.
आजकल घोड़े को सैलानियों को घुमाने के लिए काम में लिया जाता है और वर्तमान में सभी जगह सड़क बनने के कारण घोड़े के पैरों को घटने से बचाने के लिए उसके पैरों में लोहे की नाल लगा दी जाती है. वर्तमान में घोड़े की दौड़ प्रतियोगिता भी करवाई जाती है.
आजकल लोग घोड़े को घुड़सवारी के लिए पालना पसंद करते है. घोड़े को पालना बहुत ही खर्चीला होता है. हमारे देश भारत में घोड़े का उपयोग विवाह में दूल्हे को बिठाकर बारात निकाली जाती है.
भारत में घोड़े पर बैठना शान की बात मानी जाती है. गणतंत्र दिवस के दिन भारत में फौजियों द्वारा घोड़े पर बैठकर कहीं करतब दिखाए जाते हैं और परेड निकाली जाती है.
घोड़े का बच्चा जन्म के कुछ समय बाद ही अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है यह दर्शाता है कि घोड़ा कितना शक्तिशाली होता है. घोड़े को भोजन में हरी घास खाना पसंद करता है साथ ही यह है चने भी बहुत ही चाव से खाता है. चने में बहुत सारे प्रोटीन होते हैं जिसके कारण घोड़ा इसको खा कर इतनी तेजी से दौड़ पाता है.
घोड़े का हृदय बहुत बड़ा होता है जिसके कारण इसका हृदय अधिक मात्रा में शरीर में खून प्रवाहित करता है और घोड़ा बिना किसी थकावट के कई घंटों तक दौड़ पाता है.
घोड़ा स्थिति के अनुसार अपने आप को ढाल लेता है यह पक्की सड़क पर भी चल सकता है तो यह किसी पहाड़ पर भी आसानी से चढ़ सकता है और यह अधिक सर्दी और अधिक गर्मी भी बर्दाश्त कर सकता है. यह दो पहाड़ों के बीच की छोटी खाई को भी आसानी से छलांग मारकर पार कर लेता है. इसी के कारण घोड़े को सख्त जान भी कहा जाता है.
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घोड़े को प्रसिद्ध खेल पोलो को खेल खेलने के लिए भी उपयोग में लिया जाता है. वर्तमान में पूरे विश्व भर में घोड़ों की संख्या 6 करोड़ से भी ज्यादा है.
हिंदू सभ्यता में घोड़े को शक्ति का प्रतीक माना जाता है इसलिए हमारे देश में अश्वमेघ यज्ञ भी कराए जाते है. पुराने जमाने में व्यापारियों द्वारा सामान बेचने के लिए घोड़ों का इस्तेमाल किया जाता था और राजा-महाराजाओं द्वारा संदेश पहुंचाने के लिए भी काम में लिया जाता था.
भारत समेत अनेक देशों के द्वारा घोड़ों को सेना में भी काम में लिया जाता है.
उपसंहार
घोड़े का जितना महत्व है पुराने जमाने में था आज भी का महत्व उतना ही है. वर्तमान में घोड़े को उपयोग में लेने के तरीकों में बदलाव आया है इसको अब घुड़सवारी खेल खेलने और सैलानियों को घुमाने के लिए काम में लिया जाता है.
वर्तमान में इस को पालना बहुत खर्चीला होता है क्योंकि इसके लिए सारे का प्रबंध करना मुश्किल होता है.घोड़े को इनके साहस, शक्ति और वफादारी के लिए सम्मान की नजरों से देखा जाता है.