निबंध लेखन
मैं सड़क बोल रही हैं।
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मैं सड़क हूं, जिसे आप अपने बचपन से देखते आए होंगे और मेरे परिचय से भी भली-भांति अवगत होंगे। मैं अपना काम पूरी निष्ठा से करती हूं और अपनी पूरी जिंदगी मनुष्य के उद्धार हेतु लगा देती हूं
मैं प्रत्येक दिन 24 घंटे कार्य करती हूं जिसके कारण ही मनुष्य एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंच पाता है। वह अपने प्रतिदिन की जिंदगी में मेरा उपयोग करता है परन्तु उन्ही मनुष्यों में से कुछ मनुष्य मुझ पर चलते चलते थूकते भी हैं। जो लोग अपने मुंह में कुछ खा या चबा रहे होते हैं, अधिकतर वे ही ऐसा कार्य करते हैं। मुझे यह देखकर बड़ा दुःख होता है कि जिन लोगों को मैं उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचा रही हूं उन्ही में से कुछ लोग मुझ पर थूक कर मुझे गंदा कर रहे हैं।
कुछ लोग मुझ पर प्लास्टिक की बॉटल, चिप्स के पैकेट, पॉलिथीन आदि चीजें फेंक कर चले जाते हैं। मैं इस प्रकार के लोगों से यही कहना चाहती हूं कि यदि वे इस प्रकार की कोई भी चीज फेंकना चाहते हैं तो कूड़ेदान में ही फेंके, मुझ पर नहीं।
इसके अतिरिक्त कुछ लोग जो वाहन चला रहे होते हैं, उनमें भी कुछ लोग अपने गंतव्य स्थान तक शीघ्रता से पहुंचने के चक्कर में नियमों की अनदेखी करते हैं। इस प्रकार के दृश्य को देखकर भी मुझे अत्यंत दुःख होता है। इस प्रकार के लोगों को मैं यह बताना चाहती हूं कि ये नियम उनकी सुरक्षा हेतु ही बनाए गए हैं। अतः वे नियमों का पालन करें और अपने गंतव्य तक शीघ्र पहुंचने की जल्दबाजी न करें।
रात के समय मेरा उपयोग मनुष्यों द्वारा बहुत कम होता है, जिसके कारण दूर दूर तक सन्नाटा छा जाता है। कभी कभी सिर्फ कुत्तों के भोंकने की आवाज़ सुनाई देती है। इस समय मैं यह सोचती हूं कि कब सुबह होगी और लोग मेरा उपयोग करेंगे। जब लोग मेरा उपयोग करते हैं तो मुझे अत्यंत प्रसन्नता होती है कि मैं किसी की सहायता करके उसे उसके गंतव्य तक पहुंचा रही हूं।
अंत में, मैं यही कहना चाहती हूं कि मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानती हूं क्यूंकि मैं अपना सम्पूर्ण जीवन दूसरों की भलाई हेतु समर्पित कर देती हूं। मुझे इस बात का तनिक भी घमंड नहीं है परन्तु गर्व जरूर है।