निबंध लेखनः पहाड़ से गिरे हुए व्यक्ति का उपचार संभव है लेकिन चरित्र से गिरे हुए व्यक्ति का नहीं ।
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निबंध
चरित्र से गिरे व्यक्ति का उपचार संभव नही
पहाड़ से गिरे व्यक्ति का उपचार तो संभव है लेकिन चरित्र से गिरे व्यक्ति का उपचार संभव नही है। पहाड़ से यदि कोई व्यक्ति गिरता है तो उसे केवल शारीरिक चोट लगती है, उन चोटों को दवा आदि द्वारा और उचित देखभाल द्वारा ठीक किया जा सकता है।
लेकिन यदि चरित्र का पतन हो गया तो जो चोट लगती है वो आंतरिक होती है, जिसका कोई उपचार नही हो सकता। ये ऐसी चोट होती है जिसकी कोई दवा नही होती।
चरित्र का निर्माण एकदम से नही हो जाता बल्कि चरित्र-निर्माण एक सतत् प्रक्रिया है, और किसी व्यक्ति के संस्कार और उसका सद्आचरण ही उसे चरित्रवान बनाते हैं। किसी व्यक्ति का चरित्र उसके गुणों की पहचान होती है। चरित्र बनने में जितना समय लगता है, जरा सी गलती से उसके बिगड़ने में क्षण भर का समय लगता है।
चरित्र बिल्कुल उस दूथ की तरह है जिसे हम फाड़कर छाछ तो बना सकते हैं पर यदि चाहें तो उसे दूध नही बना सकते। उसी तरह हमारा चरित्र भी है, चरित्र बनने के बाद के यदि हमारे किसी गलत आचरण से हमारे चरित्र पर कोई दाग लग जाये तो हमारा चरित्र पतन निश्चित है और फिर वापस पहले की तरह चरित्रवान बनना संभव नही है।