Hindi, asked by Merrill, 15 days ago

निबंध
रेल्वे स्थानक पर एक घंत​

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Answered by snehz91
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ANSWER:

रेल्वे स्टेशन पर एक घंटा।

पाठशाला को अभी छुट्टी लग चुकी थी इसीलिए हमने तय किया था कि हम कहीं बाहर घूमने जाएंगे। मेरे पिताजी ने रेल्वे की टिकट आरक्षित की हुई थी। फिर आखिर वह दिन आया जब हम बाहर घूमने जाने के लिए निकले। हम रेल्वे स्टेशन पर पहुंचे तभी पता चला कि ट्रेन एक घंटा देर से आएगी फिर क्या हमें एक घंटा रेल्वे स्टेशन पर ही निकालना था।

मैं रेल्वे स्टेशन के एक प्लेटफार्म पर बैठकर अपनी नजर यहां वहा घुमा कर देखने लगा। सब जगह पर लोगों की भीड़ थी। रेल्वे स्टेशन के बाहर रिक्शा टैक्सी की लंबी लाइन लगी थी और कुछ लोग रास्ते पर से भागते भागते अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए आ रहे थे। रेल्वे स्टेशन पर ट्रेन अपने समय के अनुसार ही चलती है वह किसी के लिए १ मिनट भी नहीं रुकती। रेल्वे स्टेशन पर समय का बड़ा महत्व होता है इसीलिए शायद प्लेटफार्म पर इतनी बड़ी घड़ियां लगाई गई थी।

रेल्वे स्टेशन पर एक तरफ लोगों की बड़ी लंबी कतार थी, वे सभी लोग अपने ट्रेन के टिकट निकालने के लिए खड़े थे, मैंने टिकट के लिए इतनी लंबी कतार कभी नहीं देखी थी। कुछ लोग एक मशीन में से टिकट निकाल रहे थे टिकट मिलने के बाद लोग अपनी ट्रेन पकड़ने के लिए निकल जाते थे।

मैं देख रहा था तभी प्लेटफार्म पर एक अनाउंसमेंट हुई की "ट्रेन आ रही है कृपया प्लेटफार्म से दूर खड़े रहे" और देखते देखते बड़ी तेजी से ट्रेन वहा आ गई कुछ लोग ट्रेन रुकने से पहले ही ट्रेन से उतर गए तो कुछ चलती ट्रेन में चड़ गए। ट्रेन में कोई बैठने की जगह के लिए झगड़ा कर रहा था तो कोई दरवाजे पर खड़े रहने के लिए झगड़ा कर रहा था। और फिर कुछ देर में ट्रेन वहां से निकल गई।

मैंने अपनी नजर घुमा कर देखी तो एक टि.सी लोगों की तिकिट देख रहा था। पुलिस सब जगह ध्यान दे रही थी। प्लेटफार्म पर एक छोटी सी दुकान पर काफी सारी भीड़ थी। दूसरी तरफ कुछ लोग एक जैसे कपड़े पहन कर बैठे हुए थे वह सामान उठाने वाले कुली थे। उन्हें कौन सी ट्रेन कब आएगी इसकी बराबर जानकारी रहती है।

फिर आखिरकार वह समय आया जब हमारे ट्रेन की घोषणा हुई और मैं जहां बैठा था वहां से उठ खड़ा हुआ और सामान लेकर अपने पिताजी के पास जाकर खड़ा हुआ। पिताजी ने मुझे बताया कि मुझे किस डीब्बे में चढ़ाना है, मैं जैसे तैसे धक्के खाते हुए ट्रेन में चढ़ा और अपनी जगह पर जाकर बैठ गया। मेरी रेल्वे की यात्रा शुरू हुई और रेल्वे स्टेशन पर एक घंटा कैसे बीत गया पता भी नहीं चला। मुझे रेल्वे स्टेशन पर एक अलग ही अनुभव मिला।

समाप्त।

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Answered by ankushwaha06
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Answer:

your answer is..

pichle वर्ष गर्मी की छुट्टियों में अपने मित्रों के साथ बम्बई से आबू पर्वत जा रहा था| गाड़ी छूटने के लगभग एक घंटा पहले हम रेलवे स्टेशन पर जा पहुँचे|

स्टेशन के बाहर टैक्सीयां का ताँता लगा हुआ था| मोटर-गाड़ियाँ रास्ता रोक कर खड़ी थीं| लाल पगड़ी वाले कुली यात्रियों के पास पहुँचकर सामान उतारने के पहले मजदूरी तय कर रहें थे| स्टेशन में टिकट घर के सामने तिल धरने की जगह न थी|

प्लेटफार्म पर मानो रंगबिरंगी पोशाक की प्रदर्शनी लगी हुई थी| अगल-अगल प्रकार की पोशाक वाले लोगों का मेला-सा लगा हुआ था| कोई दाहिना हाथ अपनी पैण्ट की जेब में डाले हुए बाएँ हाथ से सिगरेट का धुआँ उड़ा रहा था, तो कोई पान वाले को आवाज दे रहा था| कोई नल पर कुल्ले कर रहा था, कोई जूठे बर्तन धो रहा था| सभी अपने-अपने रंग में मस्त थे| 'बाजु' दूर हटो' 'संभाल' की आवाजें लगाते हुए कुली दौड़-धुप कर रहे थे| चाय वाले, खोमचे वाले और अन्य फुटकर विक्रेताओं की 'पुड़ी-साग', 'पान-सिगरेट', 'पूरी मिठाई' जैसी आवाज़ों से प्लेटफार्म गूँज रहा था| टिकट चेकर भी इधर-उधर दौड़-धुप कर रहे थे|

गाड़ी आते ही प्लेटफार्म पर बड़ी हलचल मच गई| गाड़ी में जगह पाने के लिए कुली और कुछ यात्री चलती हुई गाड़ी में चढ़ने लगे| कोई दरवाजा खोलने लगा, तो कोई खिड़की से घुसने लगा| सामान गाड़ी में ढकेला जाने लगा| डिब्बे से झगड़ने की आवाजें कानों के पर्दे फाड़ने लगीं| छोटे बच्चे चील्ला रहे थे| कोई किसी की नहीं सुन रहा था| सबको अपनी-अपनी पड़ी थी| हाँ, आरक्षित डिब्बों में शोरगुल आपेक्षाकृत कम था|

सब यात्री अपने-अपने स्थान पर जम गए और वातावरण कुछ शांत हुआ, तो लोग चाय, थम्सअप, आइसक्रीम आदि का मजा लेने लगे| बच्चे खिलौने वाले को पुकार रहे थे| एक ओर यात्रा पर जा रहें पति-पत्नी का दृश्य बड़ा ही मनमोहक था, तो दूसरी ओर बेटी से बिछुड़ती हुई माँ का दृश्य बड़ा ही ह्रदयद्रावक था| ऐसी सजीव दुनिया बसी थी प्लेटफार्म पर|

गाड़ी छूटने की सीटी बजते ही 'शुभयात्रा', 'गुड बाई', पत्र लिखना' आदि शब्दों से प्लेटफार्म का सारा वातावरण फिर एक बार गूँजा बिदा देने लगे| न जाने उनके प्यार-भरे हृदय में कैसी हलचल मच रही होगी ? गाड़ी रवाना हो गई, तब प्लेटफार्म पर आनंद , उत्साह और शोरगुल की जगह सूनापन और शांति का साम्राज्य छा गया|

सचमुच, रेलवे स्टेशन पर एक ही घंण्टे में मानव जीवन के विविध रूपों के दर्शन हो जाते हैं| हमारे मन में फुर्ती दौड़ जाती है| मुख्य रूप में रेलवे स्टेशन मिलने और वियोग का अनोखा स्थल है|

Explanation:

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