निबंध :
रकक्षाबंधन (10-15 lines)
Answers
Answer:श्रावणी पूर्णिमा में, रेशम के धागे से बहन द्वारा भाई के कलाई पर बंधन बांधे जाने की रीत को रक्षा बंधन कहते हैं। पहले के समय रक्षा के वचन का यह पर्व विभिन्न रिश्तों के अंतर्गत निभाया जाता था पर समय बीतने के साथ यह भाई बहन के बीच का प्यार बन गया है।
रक्षा बंधन का इतिहास
एक बार की बात है, देवताओं और असुरों में युद्ध आरंभ हुआ। युद्ध में हार के परिणाम स्वरूप, देवताओं ने अपना राज-पाठ सब युद्ध में गवा दिया। अपना राज-पाठ पुनः प्राप्त करने की इच्छा से देवराज इंद्र देवगुरु बृहस्पति से मदद की गुहार करने लगे। तत्पश्चात देव गुरु बृहस्पति ने श्रावण मास के पूर्णिमा के प्रातः काल में निम्न मंत्र से रक्षा विधान संपन्न किया।
“येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वामभिवध्नामि रक्षे मा चल मा चलः।”
इस पुजा से प्राप्त सूत्र को इंद्राणी ने इंद्र के हाथ पर बांध दिया। जिससे युद्ध में इंद्र को विजय प्राप्त हुआ और उन्हें अपना हारा हुआ राज पाठ दुबारा मिल गया। तब से रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाने लगा।
Explanation:
भाई-बहिन के रिश्तों का प्रतीक - भाई-बहन के रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन हिंदुओं का एक प्रमुख तैयार है। जो भाई-बहन के रिश्तो को और भी ज्यादा मजबूत बनाने के लिए मनाया जाता है। यह तैयार भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। इसके साथ ही इसे नेपाल तथा पाकिस्तान में भी बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू धर्म के लोगों के अलावा इसे भारतवर्ष में अन्य धर्मों के लोग भी बड़े ही उत्साह और लग्न से मनाते हैं। यह एक ऐसा पर्व है जो पारिवारिक बंधनों के एकता और मजबूती को दर्शाता है। यह तैयार विशेष रूप से भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित किया गया है। यह पर्व भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही मनाया जाता रहा है।
रक्षाबंधन कब मनाई जाती है ?
रक्षाबंधन कब आता है - रक्षाबंधन का त्यौहार हिंदू पंचांग के अनुसार श्रावण मास (सावन महीने) के अंतिम दिन यानी कि श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। श्रावण मास पूरा ही हिंदू धर्म के अनुसार काफी शुभ माना जाता है।
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ?
रक्षाबंधन का ऐतिहासिक महत्व - रक्षाबंधन के त्यौहार को मनाए जाने के पीछे बहुत सारी कहानियां प्रचलित है। यह कहानी आपने इतिहास में जरूर पढ़ी होगी जिसमें रक्षाबंधन का जिक्र मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि चित्तौड़ की विधवा रानी कर्णावती ने जब चित्तौड़ दुर्ग पर बहादुर शाह ने आक्रमण किया था तब मुगल सम्राट हुमायूं को राखी भेजकर मदद मांगी थी। इस राखी की इज्जत रखते हुए हुमायूं ने हर संभव सहायता के प्रयास किए।
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