Hindi, asked by sonymittal782, 7 months ago

निबंध संगीत का जादू
class 6
100 to 150 word ​

Answers

Answered by skanhaiyasingh1122
0

Answer:

वह संगीत के शिक्षक थे, पर उन्होंने इंग्लैंड के मानसिक रोग विशेषज्ञ हेनरी रोलिन की राह पर चलना अपना मकसद बना लिया था। हेनरी रोलिन के पास मानसिक रोगियों के इलाज के लिए एक बहुत बड़ा अस्पताल है और वह अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं कि 'मानसिक परेशानियों, तनाव और उद्विग्नता को दूर करने में संगीत, भजन-कीर्तन तथा काव्य के पाठ करने-सुनने से बहुत सहायता मिलती है।

संगीत सुनने और गाने से मन का तनाव दूर होता है और ईर्ष्या, बैर, क्रोध तथा चिंताओं की निकासी के लिए एक स्वस्थ-प्रसादमयी धारा मिल जाती है।' मशहूर उपन्यासकार प्रेमचंद मानते थे कि 'मनोव्यथा जब असहनीय और अपार हो जाती है, तब उसे कहीं त्राण नहीं मिलता, जब वह रुदन और क्रंदन की गोद में भी आश्रय नहीं पाती, तो वह संगीत के चरणों में आ जाती है। मधुर संगीत ही है, जो आत्मा के ताप को शांत कर देता है।'

संगीत द्वारा रोगियों के उपचार में यह पाया गया कि सभी प्रकार के तनाव और विक्षोभ का कारण मन ही होता है। आपके जीवन में सर्वत्र मन की ही प्रधानता होती है। मानव की सारी प्रवृत्तियां ही मनोमय होती हैं। जैसे छाया व्यक्ति का अनुसरण करती है, वैसे ही मन की प्रसन्नता संगीत का अनुसरण करती है। इससे मनुष्य का मन शांत और संतुलित रहता है।

Answered by fatimamahroz
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Answer:वह संगीत के शिक्षक थे, पर उन्होंने इंग्लैंड के मानसिक रोग विशेषज्ञ हेनरी रोलिन की राह पर चलना अपना मकसद बना लिया था। हेनरी रोलिन के पास मानसिक रोगियों के इलाज के लिए एक बहुत बड़ा अस्पताल है और वह अपने अनुभव के आधार पर कहते हैं कि 'मानसिक परेशानियों, तनाव और उद्विग्नता को दूर करने में संगीत, भजन-कीर्तन तथा काव्य के पाठ करने-सुनने से बहुत सहायता मिलती है।

संगीत सुनने और गाने से मन का तनाव दूर होता है और ईर्ष्या, बैर, क्रोध तथा चिंताओं की निकासी के लिए एक स्वस्थ-प्रसादमयी धारा मिल जाती है।' मशहूर उपन्यासकार प्रेमचंद मानते थे कि 'मनोव्यथा जब असहनीय और अपार हो जाती है, तब उसे कहीं त्राण नहीं मिलता, जब वह रुदन और क्रंदन की गोद में भी आश्रय नहीं पाती, तो वह संगीत के चरणों में आ जाती है। मधुर संगीत ही है, जो आत्मा के ताप को शांत कर देता है।'

संगीत द्वारा रोगियों के उपचार में यह पाया गया कि सभी प्रकार के तनाव और विक्षोभ का कारण मन ही होता है। आपके जीवन में सर्वत्र मन की ही प्रधानता होती है। मानव की सारी प्रवृत्तियां ही मनोमय होती हैं। जैसे छाया व्यक्ति का अनुसरण करती है, वैसे ही मन की प्रसन्नता संगीत का अनुसरण करती है। इससे मनुष्य का मन शांत और संतुलित रहता है।

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