निबंध (समय का सदुपयोग) 250 words
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समय के मूल्य को पहचानना ही समय का सदुपयोग है। समय का एक-एक पल किसी भी मूल्यवान वस्तु से अधिक मूल्यवान है। जो समय का सदुपयोग करते हैं, सफलता उनके चरण चूमती है। जो व्यक्ति समय का महत्व नहीं समझते, वे सफलता के पास कभी नहीं पहुँच पाते। समय पर किसी का कोई नियंत्रण नहीं है। ईश्वर ने जितना समय हमें दिया है उसमें से एक क्षण भी, न बढ़ाया जा सकता है न ही घटाया जा सकता है। बीता हुआ समय कभी लौट कर नहीं आता। वह अपनी गति से चलता है। समय के एक-एक पल का सदुपयोग करना चाहिए। समझदार बच्चे पढ़ने के समय पढ़ते हैं, खेलने के समय खेलते हैं और मनोरंजन के समय मनोरंजन करते हैं। ऐसे विद्यार्थी बड़ी से बड़ी परीक्षा को भी चुटकियों में पास कर लेते हैं। विद्यालय से जो समय बचता है उसका सदुपयोग अन्य कलाओं को सीखने में लगाते हैं।
कबीर दास जी ने भी कहा है :
“कल करै सो आज कर, आज करै सो अब, पल में परलै होयेगी बहुरि करेगा कब।”
आज का कार्य कल पर नहीं छोड़ना चाहिए। समय पर कार्य करने वाला व्यक्ति केवल अपना ही भला नहीं करता बल्कि अपने परिवार, ग्राम तथा राष्ट्र की उन्नति में भी सहायक होता है। समय का सदुपयोग करके निर्धन-धनवान, निर्बल-सबल और मूर्ख-विद्वान बन सकता है। यदि इतिहास की तरफ झाँकें तो संसार में जितने भी महान् व्यक्ति हुए हैं उनकी महानता के पीछे समय के सदुपयोग का मूलमन्त्र रहा है।
समय का भयंकर शत्रु आलस्य है। आज युवा पीढ़ी के बहुत से लोग अवकाश के दिनों में निठल्ले घर पर बैठे रहते हैं। ऐसे लोगों की यह धारणा है :
“आज करै सो कल कर, कल करै सो परसों, इतनी भी क्या जल्दी है, अभी पड़े हैं बरसों ?”
जिससे उनको स्वयं को ही हानि नहीं होती बल्कि देश को भी भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है। बजुर्गों ने ही यह कहा है कि निठल्ले बैठने से ‘बेग़ार’ करना भी भला है। व्यर्थ ख़ाली बैठे रहने की अपेक्षा अगर किसी के काम में उसकी सहायता कर दी जाए तो ‘एक पंथ-दो काज’ हो जाते हैं। एक तो जरूरतमंद की सहायता हो जाती है, दूसरा खाली बैठने की अपेक्षा हम कुछ न कुछ नया अवश्य सीखते हैं।
महान वैज्ञानिकों ने अपनी प्रयोगशालाओं में एक-एक पल का सदुपयोग करते हुए नए-नए आविष्कार किए हैं। समय का सदुपयोग करने वाले व्यक्ति इतिहास में अमर हो जाते हैं। विश्व में जितने भी विकसित देश हैं, उनके निवासी समय के महत्व को समझते हैं।
वे सब काम समयानुसार करते हैं। हमें भी समय के सदुपयोग का संकल्प लेकर भारत देश को विकसित देश की पंक्ति में अग्रणी बनाना है।सही समय पर किए गए कार्यों का परिणाम सदैव अच्छा होता है। किसी भी सफलता का रहस्य समय की गति और उसके महत्व को पहचानने में निहित है। समय को सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण एवं मूल्यवान धन माना गया है। अंग्रेजी में एक प्रसिद्ध कहावत है: “The time is gold” अर्थात् समय ही सोना अर्थात मूल्यवान धन है। इस धन का उचित उपयोग करना जिसने सीख लिया उसके लिए संसार में अन्य कुछ भी अर्जित करना कठिन नहीं रह जाता। संसार की अन्य धन-संपत्तियाँ तो नष्ट हो जाने पर पुन: अर्जित की जा सकती है; पर समय रूपी धन-संपत्ति के एक बार हाथ से निकल जाने के उपरांत उसे लौटाया नहीं जा सकता। इसी कारण समय को सर्वाधिक मूल्यवान धन मान कर उसका हर तरह से सदुपयोग करने की बात कही जाती है।
कुछ लोग झूठ-भ्रम के शिकार हो, यह सोच कर हाथ-पर-हाथ धरे बैठे रहते हैं कि अभी उपयुक्त समय नहीं है, जब अच्छा समय आएगा, तब यह काम कर लेंगे। ऐसे लोग शायद यह भूल जाते हैं कि बीता हुआ समय कभी लौटकर नहीं आता। वह तो निरंतर जाता रहता है। हम निरंतर कर्म करते रह कर ही समय का सदुपयोग कर सकते हैं। अच्छे कर्म करके स्वयं अच्छे रह कर ही समय को अपने लिए अच्छा, सौभाग्यशाली एवं प्रगतिशील बनाया जा सकता है। इसके अलावा अन्य कोई गति नहीं। अन्य सभी बातें तो समय को व्यर्थ गंवाने वाली हैं। बुरे कर्म और बुराई तथा बुरे व्यवहार अच्छे समय को भी बुरा बना देते हैं।
संसार में समय के रुख, समय के चक्र पहचान कर, उचित ढंग से उचित रीति-नीति से उचित काम करने वाला व्यक्ति ही हर तरह से सफलता का अधिकारी बन पाता है। हर आदमी के जीवन में एक-न-एक बार वह समय जरूर आता है जब यदि व्यक्ति उसे पहचान – परख कर उस समय अपना कार्य शुरु कर दे, तो कोई कारण नहीं कि उसे सफलता न मिल पाए। शेक्सपीयर ने अपने नाटक में ‘जूलियस सीजर’ के मुख से ही कहलवाया है कि “There is a tide of time” अर्थात् समय का एक पल ऐसा भी होता है कि उसे जान लेने वाला व्यक्ति कहाँ-से-कहाँ पहुँच जाया करता है। समय को पहचान कर इस तरह उचित कार्य करना ही समय का सदुपयोग कहलाता है।
लोक-जीवन में कहावत प्रचलित है कि पलभर का चूका आदमी मीलों पीछे हो जाता है। उस उचित पल को पहचान कर समय पर चल देने वाला व्यक्ति अपनी मंजिल भी उचित एवं निश्चित रूप से प्राप्त कर लेता है। स्पष्ट है कि जो चलेगा, वही आगे बढ़ेगा और अंतत: मंजिल पर पहुँच पाएगा। खड़ा रहने वाला व्यक्ति मंजिल पाने के मात्र सपने ही देख सकता है, व्यवहार के स्तर पर उसकी परछाई का भी स्पर्श नहीं कर सकता। इसलिए आदमी को जो भी वह करना चाहता है, तुरंत आरंभ कर देना चाहिए। आज का काम कल पर कभी नहीं छोड़ना चाहिए। अपने कर्तव्य कर्म को करने से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। कार्य छोटा है या बड़ा, यह भी नहीं सोचना चाहिए। क्योंकि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। अच्छा और सावधान व्यक्ति अपने सद्व्यवहार, अच्छी नीयत और समय के सदुपयोग से छोटे अथवा साधारण कार्य को भी बड़ा और विशेष बना देता है।