Hindi, asked by Anonymous, 6 months ago

निबन्ध लेखन--- जीवन में मित्र का महत्व ​

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Explanation:

व्यक्ति के जन्म के बाद से वह अपनों के मध्य रहता हैं, खेलता हैं, उनसें सीखता हैं पर हर बात व्यक्ति हर किसी से साझा नहीं कर सकता। व्यक्ति का सच्चा मित्र ही उसके प्रत्येक राज़ को जानता है। पुस्तक ज्ञान की कुंजी है, तो एक सच्चा मित्र पूरा पुस्तकालय, जो हमें समय-समय पर जीवन के कठिनाईयों से लड़ने में सहायता प्रदान करते है। व्यक्ति के व्यक्तित्व के निर्माण में दोस्तों की मुख्य भुमिका होती है। ऐसा कहा जाता है की व्यक्ति स्वयं जैसा होता है वह अपने जीवन में दोस्त भी वैसा ही चुनता है। और व्यक्ति से कुछ गलत होता है तो समाज उसके दोस्तों को भी समान रूप से उस गलती का भागीदार समझते हैं।

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Answer:

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संकेत बिंदु

  1. सच्ची मित्रता
  2. सच्चे मित्र के गुण एवं महत्व
  3. सच्ची मित्रता की पहचान
  4. सच्ची मित्रता - जीवन का वरदान

मित्रता अनमोल धन है इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती। हीरे मोती सोने चांदी से भी नहीं। सच्ची मित्रता में किसी भी कारण चाहे वह सामाजिक आर्थिक और सांस्कृतिक ही क्यों ना हो व्यवधान नहीं आ सकता व्यवधान नहीं आ सकता। बाइबिल में कहा गया है कि एक सच्चा मित्र विश्व की सर्वश्रेष्ठ दवा है। सच्ची मित्रता को दिखाने वाले अनेक प्रेरक प्रसंग मिलते हैं कृष्ण और सुदामा अर्जुन और कृष्ण विभीषण और सुग्रीव की राम से मित्रता यह मित्रता के अनोखे उदाहरण है।

मैत्री की महिमा बहुत बड़ी है। सच्चा मित्र सुख और दुख में समान भाव से मैत्री निभाता है। जो केवल सुख में साथ देता हूं उसे सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता। सच्चा मित्र जीवन की कड़ी धूप में शीतल छांव की भांति होता है। आवश्यकता पड़ने पर अपने मित्र का सही मार्गदर्शन करता है। वास्तव में मित्रता किसी भी प्रकार के छल कपट से परे होते हैं तथा हृदय की पवित्रता वह अपने मित्र की शुभेक्षा की कामना ही मित्रता का आधार स्तंभ है।

सच्ची मित्रता की बस एक पहचान है और वह है विचारों की। शिक्षामित्र के बीच विचारों की एकता का वह गुण पाया जाता है जो मैट्रिक को दिनोंदिन प्रगाढ़ करता है। सच्चा मित्र बड़ा महत्वपूर्ण होता है। जहां थाह ना लगे वही बाह पकड़ कर उबार लेता है। प्ले मित्रता का आधुनिक रूप अधिक विकृत हो चुका है किंतु फिर भी सहृदय ने मित्रता की इस प्राचीन तिथि को सहेज कर रखा है।

दुर्जन का संग करने पर व्यक्ति को पग-पग पर मान ही उठानी पड़ती है। लोहे लोहे के साथ पवित्र अग्नि को भी लोहार हथौड़े से पीटता है। रामचंद्र शुक्ल ने कहा है कि "कुसंग का ज्वर सबसे भयानक होता है"। गति के कारण महान से महान व्यक्ति पतन के गर्त में गिरते देखे गए हैं। मथुरा की संगति के कारण कैकई ने राम को वन से भेजने का कलंक अपने माथे पर लिया। भीष्म द्रोण और दानवीर कर्ण जैसे महान पुरुष दुर्योधन दुशासन आदि के कुसंगति कारण पथभ्रष्ट हो गए थे। गंगा जब समुद्र में मिलती है तो वह भी अपनी पवित्रता खो बैठती है।

विद्यार्थी जीवन में सत्संगति का अत्यंत महत्त्व है। इस कॉल पर विद्यार्थी पर जो भी अच्छे बुरे संस्कार पड़ जाते हैं वे जीवन भर छूटे नहीं। युवकों को अपनी संगति की ओर से विशेष सावधान रहना चाहिए। विद्यार्थियों के निर्देश तथा निर्मल बुद्धि पर कुसंगति का वज्रपात ना हो जाए यह प्रतिक्षण देखना अभिभावकों का भी कर्तव्य है।

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