निबन्ध सामाजिक पर्व
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सामाजिक पर्व
हमारा भारत देश अनेकता में एकता का प्रतीक है । यहाँ भिन्न-भिन्न जाति, धर्म, भाषा, और संप्रदाय के लोग रहते हैं। यहाँ हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बुद्ध, आदि धर्म के लोग बिना किसी भेद-भाव के मिलजुल कर रहते हैं। और यहाँ हर एक धर्म, जाति अथवा संप्रदाय की अपनी एक सांस्कृतिक विरासत है, जो भिन्न-भिन्न त्योहारों के माध्यम से प्रकट होती है । इन विभिन्नताओं को एकाकार करने में इन त्योहारों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है । देश में जितनी जातियाँ व संप्रदाय हैं उतने ही अनुपात में यह त्योहार भी मनाए जाते हैं । दूसरे शब्दों में, साल भर यहाँ त्योहारों का सिलसिला चलता रहता है ।
त्योहार अनेक प्रकार के होते हैं। जैसे राष्ट्रीय त्योहार, सामाजिक त्योहार, धार्मिक त्योहार, स्थानीय त्योहार, सांस्कृतिक उत्सव इत्यादि।
फसल पकने, कटने, घर बनने, विवाह, आदि अनेक सामाजिक त्योहार है। इसके अलावा हम दीवाली, होली, दशहरा, ईद, बैसाखी, नववर्ष तथा क्रिसमस जैसे त्योहार भी मिलजुल कर सामाजिक त्योहार जैसे ही मनाते हैं।
कभी हिंदूओं की दीवाली, दशहरा या होली के रूप में तो कभी मुस्लिमों की ईद आदि के रूप में । इसी प्रकार कभी ईसा के जन्मदिवस के रूप में (क्रिसमस) चहल-पहल रहती है तो कभी गुरु-नानक जयंती या फिर बैसाखी के पर्व के रूप में ढोल-नगाड़ों की थाप सुनाई पड़ती है।
सभी त्योहारों की अपनी अलग परंपरा होती है जिससे संबंधित जन-समुदाय इनमें एक साथ भाग लेते हैं। सभी जन त्योहार के आगमन से प्रसन्नचित्त होते हैं और विधि-विधान से, पूर्ण हर्षोल्लास के साथ इन त्योहारों में भाग लेते हैं।
Answer:
Explanation:
आप मानसिक शिक्षक हैं
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कृपया स्वीकार करो प्रेम
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