निंबरकचार्य कौन थे इनका जन्म कहां हुआ था इनके माता-पिता का नाम क्या था इन्होंने किसका सिद्धांत प्रतिपादित किया था अद्वैतवाद का सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था शंकराचार्य कौन थे उनका जन्म कहां हुआ था और उनके माता-पिता का नाम क्या था विशिष्टद्वैता बाद का जन्म कहां हुआ था और उनका सिद्धांत किसने प्रतिपादित किया था और रामानुज कौन थे
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Explanation:
श्रीकृष्ण को उपास्य के रूप में स्थापित करने वाले निम्बार्काचार्य वैष्णवाचार्यों में प्राचीनतम माने जाते हैं। राधा-कृष्ण की युगलोपासना को प्रतिष्ठापित करने वाले निम्बार्काचार्य का प्रादुर्भाव कार्तिक पूर्णिमा को हुआ था। भक्तों की मान्यतानुसार आचार्य निम्बार्क का आविर्भाव-काल द्वापर के अन्त में कृष्ण के प्रपौत्र बज्रनाभ और परीक्षित पुत्र जनमेजय के समकालीन बताया जाता है।
इनका जन्म वैदूर्यपत्तन(मुंगीपैठन) में (औरंगाबाद के निकट) हुआ था। श्रीकृष्ण को परमब्रह्म के रूप में मानकर उनकी भक्ति को श्रीनिम्बार्क ने मोक्ष प्राप्ति का मार्ग बताया था। इनके दर्शन को द्वैताद्वैतवाद कहा गया तथा इनका सम्प्रदाय सनक सम्प्रदाय के नाम से विख्यात है। इन्हें सुदर्शन चक्र का अवतार माना जाता है।
इनके पिता अरुण ऋषि की, श्रीमद्भागवत में परीक्षित की भागवतकथा श्रवण के प्रसंग सहित अनेक स्थानों पर उपस्थिति को विशेष रूप से बतलाया गया है। सम्प्रदाय की मान्यतानुसार इन्हें भगवान के प्रमुख आयुध सुदर्शन का अवतार माना जाता है।
इनका जन्म वैदुर्यपत्तन (दक्षिण काशी) के अरुणाश्रण में हुआ था। इनके पिता अरुण मुनि और इनकी माता का नाम जयन्ती था। जन्म के समय इनका नाम 'नियमानन्द' रखा गया और बाल्यकाल में ही ये ब्रज में आकर बस गए। मान्यतानुसार अपने गुरु नारद की आज्ञा से नियमानंद ने गोवर्धन की तलहटी को अपनी साधना-स्थली बनाया।