निबधकार ने कछुआ धर्म का भाई किसे कहा है
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निबंधकार ने कछुआ धर्म का भाई शुतुरमुर्ग को कहा है।
व्याख्या :
निबंधकार के अनुसार जिस तरह कछुआ अपने लंबे-चौड़े खोल में किसी तरह की विपत्ति आने पर अपना सर छुपा लेता है, उसी तरह शुतुरमुर्ग भी किसी तरह की विपत्ति आने पर रेत में अपना सर छुपा लेता है और वह ऐसा सोचता है कि उसे उसका दुश्मन दिखाई नहीं दे रहा है तो वह भी अपने दुश्मन को नहीं दिखाई दे रहा होगा, जबकि उसका लंबा चौड़ा शरीर बाहर ही होता है।
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