निचे कुछ चित्र दिए गए है।उने धयानपूवक देखे और 35-40 शबद मे उनका वणृन कीजिए।
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2. बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का अर्थ और शुरुआत
‘बेटी बचाओ बेटी पढाओ’ एक ऐसी योजना है जिसका अर्थ “कन्या शिशु को बचाओ और इन्हें शिक्षित करो” है । इस योजना को भारतीय सरकार के द्वारा कन्या शिशु के लिए जागरूकता का निर्माण करने के लिए और महिला कल्याण में सुधार करने के लिए शुरू किया गया था । बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना (BBBP) महिला एवं बाल विकास मंत्रालय , स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण मंत्रालय एवं मानव संसाधन विकास की एक संयुक्त पहल है । लड़कियों की सामाजिक स्थिति में भारतीय समाज में कुछ सकारात्मक बदलाव लाने के लिये इस योजना का आरंभ किया गया है।
इस योजना का उद्घाटन माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने 22 जनवरी 2015 को हरियाणा राज्य के पानीपत जिले में किया था । हरियाणा में इसलिए क्योंकि हरियाणा राज्य में उस समय 1000 लड़कों पर सिर्फ 775 लड़कियां ही थी । जिसके कारण वहां का लिंगानुपात गड़बड़ा गया था। इस योजना को शुरुआत में पूरे देश के 100 जिलों में जहां पर सबसे अधिक लिंगानुपात गड़बड़ाया हुआ था वहां पर इस योजना को प्रभावी तरीके से लागू किया गया और आगामी वर्षों में इसे पूरे देश में लागू किया गया ।
अर्थात् जहाँ नारियों को सम्मान दिया जाता है , वहाँ साक्षात् देवता निवास करते हैं । यह वेद वाक्य है अर्थात हमारे वेदों में नारी को उच्च स्थान प्राप्त है । परन्तु फिर भी सदियों से नारी घोर अन्याय, अत्याचार और शोषण से जूझ रही है । हमारा भारत देश पौराणिक संस्कृति के साथ-साथ महिलाओं के सम्मान और इज्जत के लिए जाना जाता था। लेकिन बदलते समय के अनुसार हमारे देश के लोगों की सोच में भी बदलाव आ गया है। जिसके कारण अब बेटियों और महिलाओं के साथ सम्मान और इज्जत का व्यवहार नहीं किया जाता।
आज हमारे 21 वी सदी के भारत में जहां एक ओर चांद पर जाने की बातें होती हैं , वहीं दूसरी तरफ भारत की बेटियाँ अपने घर से बाहर निकलने पर भी कतरा रही हैं । जिससे यह पता लगता है कि आज का भारत देश पुरुष प्रधान देश है । लोगों की सोच इस कदर बदल गई है कि आए दिन देश में कन्या भ्रूण हत्या और शोषण जैसे मामले देखने को मिलते रहते हैं । जिसके कारण हमारे देश की स्थिति इतनी खराब हो गई है कि दूसरे देशों के लोग हमारे भारत देश में आने से झिझकने लगे हैं ।
स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था कि जिस देश में महिलाओं का सम्मान नहीं होता , उस देश की प्रगति कभी भी नहीं हो सकती ।
2. गणतंत्र दिवस :- हमारा राष्ट्रीय पर्व है इस पर्व को सभी धर्मों के लोग साथ मिलकर मनाते हैं । यह पर्व किसी धर्म , जाति या समुदाय से जुड़ा नहीं है । हर साल 26 जनवरी को इस पर्व को मनाया जाता है । भारत का संविधान 26 जनवरी को लागू हुआ था इसलिए इस पर्व को हर साल 26 जनवरी के दिन ही मनाते हैं । इस पर्व को राजधानी दिल्ली में राजपथ पर खासतौर से मनाया जाता है जिसमें देश के गणमान्य व्यक्ति जैसे , राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रिमंडल के सदस्य भाग लेते हैं । राजपथ पर राज्यों की झांकियों के अलावा भारत की सैन्य ताकत का प्रदर्शन की झलक भी दिखाई जाती है।
राजपथ पर होने वाली परेड और झांकी के दौरान हर साल एक विदेशी मेहमान भारत का खास अतिथि होता है । पहले गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुकर्णों थे । गणतंत्र दिवस का आयोजन राजपथ पर पहली बार 1955 में किया गया था । गणतंत्र दिवस भारत के दो अन्य प्रमुख राष्ट्रीय पर्वों स्वंतत्रता दिवस और गांधी जयंती में शामिल है । यूं तो भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया था लेकिन इसे पूर्ण रूप से आजादी 26 जनवरी 1950 को मिली जब भारत का संविधान लागू किया गया।