Hindi, asked by madhurirajput5, 5 hours ago

नीचे लिखे गद्यांश को पढ़कर शीर्षक और सार लिखिए
शिक्षा मनुष्य की मस्तिष्क तथा शरीर को उचित प्रयोग करना सिखलाती है। वह शिक्षा, जो मनुष्य को
पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त कुछ गंभीर चिंतन न दे, व्यर्थ है। अनपढ़ परंतु सभ्य व सच्चरित्र कुली उस
उच्चशिक्षित व्यक्ति से कहीं अच्छा है, जो निर्दय और चरित्रहीन हो। संसार का समस्त वैभव तथा सुख-साधन
भी मनुष्य को तब तक सुखी नहीं बना देता, जब तक मनुष्य को आत्मिक ज्ञान न हो। हमारे कुछ अधिकार और
उत्तरदायित्व भी है, यदि हम अपने घर को तो स्वच्छ रखें, किंतु दूसरों के घर अथवा गली को अस्वच्छ रहने
दें, तो हमारी उपेक्षा के कारण रोग होते हैं।​

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Answered by at5774642
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