Hindi, asked by islamrekiul, 9 months ago

नीचे लिखे गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर प्रश्नों के उत्तर लिखिए-स्वाधीनता मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। मनुष्य को तो क्या सृष्टि के छोटे-बड़े सभी प्राणियों को यहअधिकार समान रूप से प्राप्त है। किसी भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष कारण से इसकी अप्राप्ति ही पराधीनता कहलातीहै। पराधीनता में प्राणी की प्रवृत्तियाँ कुंठित होकर रह जाती हैं। कई बार तो पराधीनता का भाव व्यक्ति कीसोचने-समझने तक की शक्तियों का अपहरण कर लेता है। इसी कारण सब प्रकार के स्वर्ग सुख मिलनेपर भी कोई प्राणी पराधीन बनकर रहना नहीं चाहता। सोने के पिंजरे में बंद तोता भी कभी सुखी नहीं रहताहै। इसी भावना से अनुप्राणित होकर वह अपने पंख और सिर बार-बार पिंजरे की सलाखों से टकराता है,ताकि उन्हें तोड़कर खुले आसमान में उड़ जाए या सघन डालियों पर बैठकर उन्मुक्त मधुर स्वरों में गीतगाए। जब एक अज्ञानी पक्षी में स्वाधीनता की इतनी तड़प दिखाई देती है, तो फिर बुद्धिमान, सजीव औरसशक्त मनुष्य का तो कहना ही क्या? पराधीन व्यक्ति को अपना किसी प्रकार का व्यक्तित्व नहीं होता।(क) पराधीनता को लेखक ने अभिशाप क्यों कहा है?(ख) तोता अपने पंख और सिर को सलाखों से क्यों टकराता है?(ग) तोते का उदाहरण देकर लेखक क्या स्मरण करा रहा है?(घ) गद्यांश के लिए उचित शीर्षक लिखिए।​

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Answered by christyvjohnson
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Answer:

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Answered by um833085
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