नीचे प्रेमचंद की कहानी 'सत्याग्रह' का एक अंश दिया गया है। तुम इसे पढ़ोगे तो पाओगे कि विराम चिह्नों के बिना यह अंश अधूरा-सा है। तुम आवश्यकता के अनुसार उचित जगहों पर विराम चिह्न लगाओ- उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया 11 बज चुके थे चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था पंडित जी ने बुलाया खोमचेवाले खोमचेवाला कहिए क्या दूँ भूख लग आई न अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं? चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लगे तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि ज़रा अपनी कुप्पी मुझे दे देखूँ तो वहा क्या रेंग रहा है मुझे भय होता है
Class 6 NCERT Hindi Chapter नादान दोस्त
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विराम चिन्ह : अपने भावों और विचारों को व्यक्त करते समय हम बीच-बीच में थोड़ी देर रुक जाते हैं। बोलते समय इस रुकने की प्रक्रिया को लिखित भाषा में दर्शाने के लिए कुछ चिन्हों का प्रयोग किया जाता है। इन चिन्हों को हम विराम चिन्ह कहते हैं।
विराम चिन्ह निम्नलिखित है -
पूर्ण विराम (।), अल्पविराम (,) , अर्धविराम (;), प्रश्नसूचक (?), विस्मयादिबोधक (!), निर्देशक (_), संयोजक (-), कोष्ठक चिन्ह (), उद्धरण चिन्ह (“”), लाघव चिन्ह (०), संबोधन चिन्ह (!)
उत्तर :-
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे। चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया, ‘खोमचेवाले! खोमचेवाला, ‘ कहिए क्या दूँ? भूख लग आई न? अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है, हमारा आपका नहीं।’ मोटेराम, “अबे ! क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहे और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जऱा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो, वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।”
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
विराम चिन्ह निम्नलिखित है -
पूर्ण विराम (।), अल्पविराम (,) , अर्धविराम (;), प्रश्नसूचक (?), विस्मयादिबोधक (!), निर्देशक (_), संयोजक (-), कोष्ठक चिन्ह (), उद्धरण चिन्ह (“”), लाघव चिन्ह (०), संबोधन चिन्ह (!)
उत्तर :-
उसी समय एक खोमचेवाला जाता दिखाई दिया। 11 बज चुके थे। चारों तरफ़ सन्नाटा छा गया था। पंडित जी ने बुलाया, ‘खोमचेवाले! खोमचेवाला, ‘ कहिए क्या दूँ? भूख लग आई न? अन्न-जल छोड़ना साधुओं का काम है, हमारा आपका नहीं।’ मोटेराम, “अबे ! क्या कहता है? यहाँ क्या किसी साधु से कम हैं। चाहें तो महीने पड़े रहे और भूख न लगे। तुझे तो केवल इसलिए बुलाया है कि जऱा अपनी कुप्पी मुझे दे। देखूँ तो, वहाँ क्या रेंग रहा है? मुझे भय होता है।”
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
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उसी समय एक खोमचेवाला जाता लदखाइा लदया 11 बज च़ुके थे, चारों तरफ सन्नाटा छा गया था। पंलडत जी ने ब़ुलाया-खोमचेवाले खोमचेवाला कलहए क्या दूाँ? भूख लग आइा न। अन्न-जल छोड़ना साध़ुओं का काम है; हमारा आपका नहीं। मोटेराम! अबे क्या कहता है? यहााँ क्या लकसी साधू से कम ह।ैं चाहें तो महीने पड़े रहें और भूख न लग।े त़ुझे तो केवल इसललए ब़ुलाया है लक जरा अपनी क़ुप्पी म़ुझे द।े देखूाँ तो वहााँ क्या रेंग रहा है? म़ुझे भय होता ह।ै
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