नीचे पखार पग तल, नित सिंधु झूमता हो का अर्थ
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वह जन्मभूमि मेरी,वह मातृभूमि मेरी . नीचे चरण तले झुक,नित सिंधु झूमता है..!! ... व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपने मातृभूमि की प्रसंशा करते हुए ,भारत देश की महानता का गुणगान किया है . कवि कहता है कि भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है
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