“नाच रही तरुशिखा” मै कोनसा अलंकार है
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"नाच रही तरुशिखा" मनोहर इस वाक्य में उपमा मानवीकरण अलंकार है ।
- मानवीकरण अलंकार को (उत्प्रेक्षा अलंकार) भी कहते हैं।
- मानवीकरण अलंकार शब्द जब जड़ पदार्थ और प्रकृति के अंग( नदी ,पर्वत, पेड़, लताएं ,झरने ,हवा, पत्थर, पक्षी ) आदि पर मानवीय के आरोप लगाया जाता है अर्थात मनुष्य जैसा कार्य व्यवहार करता हुआ दिखाया जाता है। तब वह मानवीयकरण अलंकार होता है। जैसे हरषाया ताल लाया पानी परात भरके।
- मुस्कुराना आदि क्रियाएं तो सिर्फ मानव ही करते हैं । अतः यहां पर प्राकृतिक चीजों में मानवीय भावनाएं दर्शाई जा रही है हम यह भी जानते हैं कि जब सजीव भावनाओं का वर्णन चीजों में किया जाता है तब यह मानवीकरण अलंकार होता है। अतः यह उदाहरण मानवीकरण अलंकार के अंतर्गत आएगा।
- काव्यकी शोभा बढ़ाने वाले तत्व अलंकार कहे जाते हैं l
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Answer:
"नाच रही तरुशिखा" इस वाक्य में उपमा मानवीकरण अलंकार है ।
Explanation:
किसी काव्यांश-वाक्यांश की सुंदरता को बढ़ाने वाले शब्द होते हैं जैसे अपने शब्दों के माध्यम से किसी की सुंदरता को चांद की उपाधि देना यह बिना अलंकार के संभव नहीं है। भाषा को शब्दार्थ से सुसज्जित और सुंदर बनाने का काम Alankar का ही है।
अलंकरोति इति अलंकार
भारतीय साहित्य के अंदर जिन शब्दों के द्वारा किसी वाक्य को सजाया जाता है उन्हें अलंकार कहते हैं।
अनुप्रास
उपमा
रूपक
यमक
श्लेष
उत्प्रेक्षा
संदेह
अतिशयोक्ति आदिI
अलंकार को व्याकरण के अंदर उनके गुणों के आधार पर तीन हिस्सों में बांटा गया है।
शब्दालंकार
अर्थालंकार
उभयालंकार
शब्दालंकार अलंकार
शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार , जिसके दो रूप होते हैं – ध्वनी और अर्थ। जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द का इस्तेमाल कर देने से उस शब्द का अस्तित्व ही न बचे तो ऐसी स्थिति को शब्दालंकार कहते हैं। अर्थात जिस अलंकार में शब्दों का प्रयोग करने से कोई चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार कहीं गायब हो जाता है तो, ऐसी प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है।
उपमा अलंकार - किसी प्रस्तुत वस्तु की उसके किसी विशेष गुण, क्रिया, स्वभाव आदि की समानता के आधार पर अन्य अप्रस्तुत से समानता स्थापित की जाए तो उपमा अलंकार होगा। हरि पद कोमल कमल से -यहाँ हरि (भगवान) के पैरों को कमल के समान कोमल बताया गया है। उपमा के चार अंग होते हैं 1 उपमेय - काव्य में जिसकी समान गुन धर्म के आधार पर तुलना की जाती है उसे उपमेय कहते है। 2 उपमान - उपमेय की तुलना जिसके वस्तु साथ की जाती है उसे उपमान कहते हैं। 3 साधरण धर्म- उपमेय और उपमान के बीच समान गुणधर्म को साधारण धर्म कहते है। 4 वाचक शब्द - जो शब्द उपमेय और उपमान के बीच समानता को दर्शाते है उन्हें वाचक शब्द कहते है सा, सी, सम, सरिस, जैसा, ज्यो।
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