Political Science, asked by maahira17, 10 months ago

नीचे संसद को ज़्यादा कारगर बनाने के कुछ प्रस्ताव लिखे जा रहे हैं। इनमें से प्रत्येक के साथ अपनी सहमति या असहमति का उल्लेख करें। यह भी बताएँ कि इन सुझावों को मानने के क्या प्रभाव होंगे?
(क) संसद को अपेक्षाकृत ज्यादा समय तक काम करना चाहिए।
(ख) संसद के सदस्यों को सदन में मौजूदगी अनिवार्य कर दी जानी चाहिए।
(ग) अध्यक्ष को यह अधिकार होना चाहिए कि सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा करने पर सदस्य को दंडित कर सकें।

Answers

Answered by nikitasingh79
9

Answer:

Explanation:

(क) संसद को अपेक्षाकृत ज्यादा समय तक काम करना चाहिए।

उत्तर : हम पहले कथन से सहमत हैं कि संसद को अपेक्षाकृत ज्यादा समय तक काम करना चाहिए , इससे कार्य समय पर होंगे तथा संसद के पास काम का बोझ नहीं रहेगा। कल्याणकारी राज्य होने के कारण सरकार के कार्यों  में बहुत वृद्धि हो गई है । जिससे संसद के कार्यों में भी वृद्धि हो गई है तथा संसद का अधिवेशन अधिक समय तक चलना चाहिए ताकि बिलों तथा अन्य विषयों पर पूरा विचार विमर्श हो सके।

 

(ख) संसद के सदस्यों को सदन में मौजूदगी अनिवार्य कर दी जानी चाहिए।

उत्तर : हम दूसरे कथन से सहमत हैं कि संसद के सदस्यों की सदन में मौजूदगी अनिवार्य कर दी जानी चाहिए, इसका प्रभाव यह हुआ कि किसी जनहित विषय पर अधिक अच्छे  

ढंग से विचार-विमर्श होगा।  

 

(ग) अध्यक्ष को यह अधिकार होना चाहिए कि सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा करने पर सदस्य को दंडित कर सकें।  

उत्तर : हम इस कथन से सहमत हैं कि अध्यक्ष को सदन की कार्यवाही में बाधा पैदा करने वाले सदस्यों को दंडित करने का अधिकार होना चाहिए इसे सदन की कार्यवाही सुचारू ढंग से चल सकेगी।  

आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।

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Answered by sk181231
4

Answer:

अपने प्रारंभिक दौर में हिंदी सभी बातों में अपभ्रंश के बहुत निकट थी इसी अपभ्रंश से हिंदी का जन्म हुआ है। आदि अपभ्रंश में अ, आ, ई, उ, उ ऊ, ऐ, औ केवल यही आठ स्वर थे।ऋ ई, औ, स्वर इसी अवधि में हिंदी में जुड़े । प्रारंभिक, 1000 से 1100 ईसवी के आस-पास तक हिंदी अपभ्रंश के समीप ही थी। इसका व्याकरण भी अपभ्रंश के सामान काम कर रहा था। धीरे-धीरे परिवर्तन होते हुए और 1500 ईसवी आते-आते हिंदी स्वतंत्र रूप से खड़ी हुई। 1460 के आस-पास देश भाषा में साहित्य सर्जन प्रारंभ हो चुका हो चुका था। इस अवधि में दोहा, चौपाई ,छप्पय दोहा, गाथा आदि छंदों में रचनाएं हुई है। इस समय के प्रमुख रचनाकार गोरखनाथ, विद्यापति, नरपति नालह, चंदवरदाई, कबीर आदि है।

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