नीचे दिए गए गद्यांश को पढकर पाछे गए प्रश्नों के उतर लिखिए।
मुखिया किसे कहते हैं? मुखिया शब्द मुख से निकला है।
और यदि वह काम करना बंद कर देताना सभी अंग निकम्मे हो जाएंगे, उसी प्रकार
मुखिया भी एक पूज्य, सदाचारी, श्रेष्ठ, सज्जन पुरूष है।
मुख के दो कार्य हैं
बोलना। खाने और बोलने का एक समान द्वारा है।
करके बोले और किसी का पैसा भी न खाए बुद्धिमान मनुष्य वह है जिसका मुख दिल में हो
सच्चा मुखिया वही है, जो सोच विचार
अर्थात सोच करके बोले। मुर्ख वह है जिसका दिल मुख में हो अर्थात जो उसके मुख में आए वह
कह दे। आप भी अगर शुभ संकल्प मन में धारण करोगे और अशुद्ध बचन मुख से न निकालोगे,
सोच समझकर चलोगे तो पौ-बारह है। आपके स्वयं ही शुभ कार्य होते रहेगें, फिर तो आपका
बाल भी बांका न होगा जिधर जाओगे उधर आपका यश होगा।
(क) मुख और मुखिया का क्या संबंध बताया गया है ?
(ख) बुद्धिमान और मुख में क्या अंतर होता है ?
(ग) व्यक्ति किस प्रकार यश प्राप्त कर सकता है?
(घ) 'बाल भी बांका न होना' मुहावरे का अर्थ बताइए!
(ड) प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक लिखिए।
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1) मुख सभी अंगों में श्रेष्ठ है। शरीर के सभी अंग उससे संचालित होते हैं। उसी तरह मुखिया भी एक पूज्य, सदाचारी, श्रेष्ठ सज्जन पुरुष है।
2) सच्चा मुखिया वही है जो सोच-विचार कर बोले। किसी का एक पैसा भी न खाए।
3) बुद्धिमान मनुष्य सोचकर बोलता है एवं मूर्ख मनुष्य बिना सोचे बोलता है।
4) शुभ संकल्प से हम सोच समझकर चलेंगे। हमसे स्वयं शुभ कार्य होते रहेंगे। जिधर जाएंगे उधर यश होगा।
5) ‘मुख और मुखिया’।
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