नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए | क)कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं, तब क्या होता है? ? ख ) तरुवर फल नहीं खात है ,सरवर पियत न पान | कही रहीम परकाज हित ,संपत्ति सचहि सुजान ||इस पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए| ग) एक तिनका कविता में किस घटना की चर्चा की गई है ,जिससे घमंड नहीं करने का संदेश मिलता है ?
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a)- कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तो वह उनकी ओर पूरी तरह से सम्मोहित हो जाता है। उसे लगता है की जैसे कंचों का जार बड़ा होकर आसमान-सा बड़ा हो गया और वह उसके भीतर चला गया। वहाँ और कोई नहीं था। वह अकेला ही कंचे चारों ओर बिखेरता हुआ मजे से खेल रहा था। हरी लकीर वाले सफ़ेद आँवले से गोल कंचे उसके दिमाग में पूरी तरह छा गए। उसने कंचों के चक्कर में मास्टर जी से डाँट भी खाई ।
b)वृक्ष अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और सरोवर भी अपना पानी स्वयं नहीं पीती है। इसी तरह अच्छे और सज्जन व्यक्ति वो हैं जो दूसरों के कार्य के लिए संपत्ति को संचित करते हैं।
c)इस कविता में बताया गया है कि जैसे ही व्यक्ति की आंख में छोटा सा तिनका गिरा और उसकी सारी ऐंठ निकल गई। वह अपने आप को बिल्कुल असहाय महसूस करने लगा। इस बात से यह सबक मिलता है कि जब इतनी छोटी सी चीज किसी व्यक्ति को निर्बल महसूस करा सकती है तो बड़ी चीज तो उसका नामोनिशान मिटा सकती है। इस पूरी कविता से यह संदेश मिलता है कि घमंड नहीं करना चाहिए।
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