नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूरे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
जन्म दिया माला-सा जिसने, किया सदा लालन-पालन,
जिसके मिट्टी-जल से ही है रचा गया हम सबका सन।
गिरिवत नित रक्षा करते हैं. उच्च उठाकर श्रृंग महान,
जिसके लता दमादिक करते हमको अपनी छाया दान।
माता केवल बाल काल में निज अंक में धरती है.
हम अशक्त जब तलक कभी तक पालन-पोषण करती है।
मातृभूमि करती है सब का लालन सदा मृत्यु पर्यंत,
जिसके दया प्रभावों का होता ना कभी सपनों में अंत।
मर जाने पर कण देहो के इसमे ही मिल जाते हैं,
हिंदू जलते, यवन-ईसाई शरण इसी में पाते हैं।
ऐसी मातृभूमि मेरी है स्वर्णलोक से भी प्यारी,
उसके घरण-कमल पर मेरा तन मन धन सब बलिहारी।।
(क) भारत भूमि की रक्षा कौन करते।
(ख) 'माता केवल बाल-काल मैनीज अंक में धरती है में माता का अभिप्राय है।
(ग) मातृभूमि हमारा पालन पोषण कब तक करती है?
'यवन ईसाई सरण इसी में पाते है का अभिप्राय है?
(5) कवि को अपनी मातृभूमि कैसी लगती है?
Answers
(क) भारत भूमि की रक्षा कौन करते।
➲ भारत भूमि की रक्षा भारत के वो वासी करते हैं, जिन्होंने इस भारत भूमि पर जन्म लिया, इसी में जिनका लालन-पालन हुआ।
(ख) 'माता केवल बाल-काल मैनीज अंक में धरती है में माता का अभिप्राय है।
➲ माता से अभिप्राय जन्म देने वाली माता से है, जो जन्म देकर बाल्य काल अपने बच्चे का ध्यान रखती है, और बड़े हो जाने पर बालक स्वयं अपना ध्यान रखता है।
(ग) मातृभूमि हमारा पालन पोषण कब तक करती है?
➲ मातृभूमि हमारा पालन पोषण पूरे जीवन भर करती है।
(घ) 'यवन ईसाई सरण इसी में पाते है का अभिप्राय है?
➲ ‘यवन ईसाई से सरण इसी में पाते हैं’ से अभिप्राय है, कि इसी भारत भूमि ने अनेक विदशियों को अपने यहाँ शरण दी और उन्हे हृदय से अपनाया है।
(ङ) कवि को अपनी मातृभूमि कैसी लगती है?
➲ कवि को अपनी मातृभूमि स्वर्गलोक से भी प्यारी लगती है।
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