नीचे दिए गए पद्यांश को ध्यानपूर्वक पड़कर दिए गए विकल्पों से प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
मैं चला, तुम्हें भी चलना है असिधारों पर
सिर काट हथेली पर लेकर बढ़ जाओ तो।
इस युग को नूतन स्वर तुमको ही देना है,
अपनी क्षमता को आज जरा अजमाओ तो।
दे रहा समय अभी चुनौती नवयुवकों को,
मैं किसी तरह मंजिल तक पहले पहुँचूँगा।
इस महाशांति के लिए हवन-वेदी पर मैं
हँसते-हँसते प्राणों की बलि दे जाऊँगा।
तुम बना सकोगे भूतल पर इतिहास नया,
में गिरे हुए लोगों को गले लगाऊँगा।
क्यों ऊँच-नीच, कुल, जाति, रंग का भेदभाव?
मैं रूढ़िवाद मद का कल्मष महल ढहाऊँगा।
जिनका जीवन वसुधा की रक्षा हेतु बना
मरकर भी सदियों तक वे यों ही जीते है
दुनिया को देते हैं रस की रसधार विमल
खुद हँसते-हँसते कालकूट को पीते है
है अगर तुम्हें भी भूख 'मुझे भी जीना है।'
तो आओ मेरे साथ नींव में गड़ जाओ।
ऊपर इसके निर्मित होगा आनंद-महल
मरते-मरते भी दुनिया में कुछ कर जाओ।
(CBSE 2012)
10 'असिधारा पर चलने का आशय है-
(क) संकटों को कुचलना।
(ख) संकटों से जूझना।
(ग) संकटों में फैसना।
(घ) डांवाडोल होना।
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संकटों से जूझना
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