Hindi, asked by mauryasushma762, 16 days ago

नीचे दिए गए विषयों को अनुच्छेद लिखें (क) रक्षाबंधन (ख) स्वाधीनता दिवस (ग) मेरा जन्मदिन (घ) मेरा सबसे प्यारा खिलौना​

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Answered by vinaytiwari011083
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भारत में बारहों महीने कोई-न-कोई त्योहार मनाया जाता है । हिंदू समाज के चार प्रमुख त्योहार हैं: ‘रक्षाबंधन’, ‘विजयादशमी’, ‘दीपावली’ और ‘होली’ । इन सब में रक्षाबंधन प्रमुख त्योहार है । इसकी परंपरा अत्यंत प्राचीन है । प्राय: सभी जाति-वर्ग के लोग इसे समान रूप से मनाते हैं ।

रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है । इसे ‘श्रावणी’ भी कहते हैं । इसका ब्राह्मणों के लिए विशेष महत्त्व है । प्राचीन परंपरा के अनुसार ऋषि-मुनि यज्ञ करते थे । उस समय ऋषि-मुनि संबद्ध देश के राजा को अपनी धार्मिक क्रियाओं के लिए वचनबद्ध कराते थे । राजा उन्हें रक्षा का वचन देकर आशीर्वाद ग्रहण करते थे ।

इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बाँधती हैं और बदले में भाई उनकी रक्षा का वचन देते हैं । यह मुख्यत: बहन-भाई का त्योहार है । मध्यकाल में लोगों का जीवन पहले की भाँति सुखमय न था, तब अपनी रक्षा के लिए बहनें अपने भाई की कलाई में रेशम के धागे का रक्षा-सूत्र (राखी) बाँधने लगीं । मेवाड़ की महारानी कर्णावती ने बादशाह हुमायूँ को भाई मानकर अपनी रक्षा के लिए राखी भेजी थी ।

उस उदार मुगल शासक ने उसे स्वीकार किया था । इसकी एक बहुत ही रोचक कहानी है । लगभग चार सौ साल पहले की बात है । मेवाड़ के नरेश महाराणा संग्राम सिंह की मृत्यु हो गई थी । उनकी मृत्यु के बाद कुमार विक्रमादित्य सिंहासन पर बैठे ।

उस समय विक्रमादित्य बहुत छोटे थे । उन दिनों मेवाड़ के सरदारों में आपसी फूट चरम पर थी । अपने लिए सही मौका जानकर गुजरात के शासक बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण कर दिया । उस विपदा के समय में भी राजमाता कर्णावती घबराईं नहीं । उस समय दिल्ली में बादशाह हुमायूँ का शासन था ।

महारानी कर्णावती ने उसके पास राखी और एक पत्र भेजा । पत्र में लिखा था: ”महाराज अब इस संसार में नहीं रहे । कुमार अभी बाल्यावस्था में हैं । राज्य में आपसी फूट है । गुजरात का शासक बहादुरशाह, जो कभी महाराज के शरणागातों में था, किले पर चढ़ आया है । मैं राखी भेज रही हूँ ।

आप इसे स्वीकार करें ! आप महाराज के सिंहासन की रक्षा करें ! मैं तो अपने धर्म की रक्षा अग्नि द्वारा कर लूँगी ।” राखी और पत्र पते ही हुमायूँ ने अपनी बहन की रक्षा का संकल्प लिया तथा उसने अपनी विशाल सेना के साथ मेवाड़ के लिए कूच दिया ।

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