नीचे दिए
कीजिए
जा रहा हा शाम
मान
के की
को ससुराल पहुंचाने में ही जा
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मेरी ममझ में आज तक यह बात न आयी कि लोग ससुराल जाते हैं, तो इतना ठाट-बाट क्यों बनाते हैं। आख़िर इसका उद्देश्य क्या होता है? हम अगर लखपती हैं तो क्या, और रोटियों को मोहताज हैं तो क्या, विवाह तो हो ही चुका, अब इस ठाट का हमारे ऊपर क्या असर पड़ सकता है? विवाह के पहले तो उससे कुछ काम निकल सकता है। हमारी संपन्नता बातचीत पक्की करने में बहुत-कुछ सहायक हो सकती है। लेकिन जब विवाह हो गया, देवीजी हमारे घर का सारा रहस्य जान गईं और निःसंदेह अपने माता-पिता से रो-रोकर अपने दुर्भाग्य की कथा भी कह सुनाई, तो हमारा यह ठाठ हानि के सिवा लाभ नहीं पहुँचा सकता। फटे-हालों देखकर, संभव है, हमारी सासजी को कुछ दया आ जाती और बिदाई के बहाने कोई माकूल रक़म हमारे हाथ लग जाती। यह ठाट देखकर तो वह अवश्य ही समझेंगी कि अब इसका सितारा चमक उठा है, ज़रूर कहीं न कहीं से माल मार लाया है। उधर नाई और कहार इनाम के लिए बड़े-बड़े मुँह फैलाएँगे, वह अलग। देवीजी को भी भ्रम हो सकता है। मगर यह सब जानते और समझते हुए मैंने परसाल होलियों में ससुराल जाने के लिए बड़ी-बड़ी तैयारियाँ कीं।