नीचे दिए पद्य को ध्यान से पढ़ें और दिए प्रश्नों के उत्तर दे।
अपने सहस्र दृग- सुमन फाड़,
अवलोक रहा है बार बार ,
नीचे जल ने निज महाकार,
-जिसके चरणों में पला ताल
दर्पण सा फैला है विशाल !
1-इस कविता के कवि कौन है?
2-अवलोक का अर्थ है
3-सहस्र दृग- सुमन से कवि का क्या तात्पर्य है?
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Explanation:
1) सुमित्रानंदन पंत
2) अवलोक - देख रहा
3) पर्वतों की श्रृंखला मंडप का आकार लिए अपने पुष्प रूपी नेत्रों को फाड़े अपने नीचे देख रहा है। कवि को ऐसा लग रहा है मानो तालाब पर्वत के चरणों में पला हुआ है जो की दर्पण जैसा विशाल दिख रहा है। पर्वतों में उगे हुए फूल कवि को पर्वत के नेत्र जैसे लग रहे हैं जिनसे पर्वत दर्पण समान तालाब में अपनी विशालता और सौंदर्य का अवलोकन कर रहा है।
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