नीचे दी गई घटनाओं का उचित कृम लगाओ फसल कटाई, बोवाई, जुताई, तोड़ना.
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मध्यप्रदेश में मटर की खेती प्रमुखतः से सिहोर, पन्ना दमोह, सागर, सतना, रायसेन, टीकमगढ़, दतिया, ग्वालियर, मण्डला आदि जिलों में की जाती है । मटर की खेती सब्जी और दाल के लिये उगाई जाती है। मटर दाल की आवश्यकता की पूर्ति के लिये पीले मटर का उत्पादन करना अति महत्वपूर्ण है, जिसका प्रयोग दाल, बेसन एवं छोले के रूप में अधिक किया जाता है । पीला मटर की खेती वर्षा आधारित क्षेत्र में अधिक लाभप्रद है । इसका क्षेत्रफल मध्यप्रदेश में 2,64,000 हे. है । इसकी उत्पादकता मध्यप्रदेश में 553 कि.ग्रा. हे. जो कि राष्ट्रीय उत्पादकता (910 कि.ग्रा. प्रति हे.) से काफी कम है । इसकी उत्पादकता बढाने के लिये उन्नत तकनीक अपनाना अति आवष्यक है ।
भूमि का चुनाव: मटर की खेती सभी प्रकार की भूमियों में की जा सकती है परंतु अधिक उत्पादन हेतु दोमट और बलुई भूमि जिसका पी.एच.मान. 6-7.5 हो तो अधिक उपयुक्त होती है।
भूमि की तैयारी: खरीफ फसल की कटाई के पश्चात एक गहरी जुताई कर पाटा चलाकर उसके बाद दो जुताई कल्टीवेटर या रोटावेटर से कर खेत को समतल और भुरभुरा तैयार कर लें । दीमक, तना मक्खी एवं लीफ माइनर की समस्या होने पर अंतिम जुताई के समय फोरेट 10जी 10-12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर खेत में मिलाकर बुवाई करें ।
Answer:
बोवाई,जुताई,फसल,कटाई,तोडना