नीचे दी गई पद्य की पंक्तियों को गद्य में लिखिए ।
क) पर्नकुटी करिहौं कित हैव
ख) पुर तें निकसी रघुबीर-वधू ।
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फिरि बूझति हैं, “चलनो अब केतिक, पर्नकुटि करिहौं कित ह्वै?” तिय की लखि आतुरता पिय की अंँखियांँ अति चारु चलीं जल च्वै।। प्रथम पद में तुलसीदास जी लिखते हैं कि श्री राम जी के साथ उनकी वधू अर्थात् सीता जी अभी नगर से बाहर निकली ही हैं कि उनके माथे पर पसीना चमकने लगा है।
पुर तें निकसी रघुबीर-वधू, धरि धीर दए मग में डग द्वैं। झलकीं भरि भाल कनी जल की, पट सूखि गए मधुराधर वै। फिर बुझति हैं, चलनो अब केतिक, पर्नकुटी करिहौं कित ह्वै?
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