नीचे दो तरह की राय लिखी गई है :
विस्मय : रियासतों को भारतीय संघ में मिलाने से इन रियासतों की प्रजा तक लोकतंत्र का विस्तार हुआ I
इंद्रप्रीत : यह बात मैं दावे के साथ नहीं कह सकता I इसमें बल प्रयोग भी हुआ था जबकि लोकतंत्र में आम सहमति से काम लिया जाता है I
देसी रियासतों के विलय और ऊपर के मशवरे के आलोक में इस घटनाक्रम पर आपकी क्या राय है ?
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"दोनों राय खुदके नजरिए से सही हे | १९४७ के स्वत्रंता अधिनियम के अनुसार सभी रजवाड़े स्वतंत्र हो गए थे | पर उनका प्रशासन ठीक नहीं चला, अव्यवस्था बढ़ी और प्रजा को लोकतंत्र चाहिए था | दूसरी और सरकार का रवैया रजवाड़ो की और ज्यादा था | और वह कुछ इलाको को स्वत्रंता देने तैयार थी | इसलिए पहली राय पर्याप्त रूप से सही हे |
परन्तु विलय के समय बड़ी बड़ी रियासतोंने संघ के साथ मिलने से इन्कार किया | रियासतों के खिलाफ बल का प्रयोग किया गया जो अलोकतंत्रीय था | पर सरकार की भी राजनितिक मज़बूरी थी | इसलिए दूसरी राय भी सही हे | "
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Answer:
पर उनका प्रशासन ठीक नहीं चला, अव्यवस्था बढ़ी और प्रजा को लोकतंत्र चाहिए था। दूसरी और सरकार का रवैया रजवाड़ो की और ज्यादा था। और वह कुछ इलाको को स्वत्रंता देने तैयार थी। इसलिए पहली राय पर्याप्त रूप से सही है।
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