"नीचहु ऊच करे मेरा गोबिंदु काहु ते न डरै"पंक्ति का भाव स्पष्ट करें ?
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रैदास के पद की इन पंक्तियों यह पता चलता है कि कवि खूदको नीच एवं अभागा मानते थे। उसके बाद भी प्रभु ने उनके उपर वह कृपा दिखाई है, कवि उससे फूले नहीं समा रहे हैं। प्रभु अपने भक्तों में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं करते हैं, वे सदैव अपने भक्तों को समान दृष्टि से देखते हैं। वे किसी से नहीं डरते एवं अपने सभी भक्तों पर एक समान कृपा करते हैं।
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