नागार्जुन कोन थे। उन्होनेछ baudhya dharmके लिए kya Kiya
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Explanation:नागार्जुन की जीवन कथा का आंरभिक विवरण चीनी भाषा में उपलब्ध है, जिसे क़रीब 405 ई. में प्रसिद्ध बौद्ध अनुवादक कुमारजीव ने उपलब्ध कराया। यह अन्य चीनी एवं तिब्बती वृत्तांत से सहमत हैं कि नागार्जुन दक्षिण भारत में एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। ऐतिहासिक रूप से बचपन की उनकी कथाएं विवादास्प्रद हैं, लेकिन यह संकेत देती हैं कि उनके पास असाधारण बौद्धिक क्षमता थी तथा जब उन्होंने महायान बौद्ध धर्म के सिद्धांतों, जो इस समय पूर्वी एशिया में प्रचलित हैं, के गहन अर्थों को समझा, तब उनमें आध्यात्मिक परिवर्तन हुआ। कुमारजीव के वृत्तांत के अनुसार, नागार्जुन द्वारा बौद्ध धर्म के कुछ मूल विचार कुछ असंतुष्टि से सीखने के बाद एक 'महानाग बोधिसत्व' पर ज्ञान-प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर एक प्रमुख नागराज[1] ने दया दिखाई तथा उन्हें अत्यंत गूढ़ महायान श्लोकों के बारे में बताया। नागार्जुन ने कुछ ही समय में इनमें प्रवीणता हासिल की तथा भारत में सफलतापूर्वक सत्य (धर्म) का प्रचार किया और कई विरोधियों को बौद्धिक-दार्शनिक शास्त्रार्थ में परास्त किया। अनुश्रुत वृतांत यह भी संकेत देते हैं कि वह काफ़ी लंबी उम्र तक जिए तथा इसके बाद उन्होंने अपने जीवन का अंत करने का निर्णय लिया। विभिन्न वृत्तांत नागार्जुन के विभिन्न धार्मिक गुणों का वर्णन करते हैं तथा उनके जीवन का कालांकन 500 से अधिक वर्षों के दायरे में करते हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि उपलब्ध संदर्भ कई व्यक्तियों के बारे में हो सकते हैं तथा इनमें कुछ काल्पनिक वृत्तांत भी शामिल होंगे। फिर भी नागार्जुन की जीवनी के विभिन्न तत्वों की पुष्टि एतिहासिक साम्रग्री से होती है। वर्तमान विद्वान् संकेत देते हैं कि नागार्जुन 50 ई. और 280 ई. किसी अवधि में रहे होंगे। एक आम राय के मुताबिक़, उनका कालांकन 150-250 ई. है। कुछ पुरातात्विक सबूत : उनके द्वारा सातवाहन वंश के एक राजा, संभवत: यज्ञश्री (173-202) को लिखा एक पत्र (सुहारिल्लेख, ‘मैत्रिपूर्ण पत्र’) इस दावे की पुष्टि करता है कि वह दक्षिण भारत में रहते थे।