नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कौन थे
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भारतेंदु युग के बाद हिंदी साहित्य की उल्लेखनीय गतिविधियों, उनके नियमन और नियंत्रण, संचालन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जानी जाने वाली प्रचारिणी की स्थापना क्वींस कॉलेज के नौवीं कक्षा के तीन छात्रों बाबू श्याम सुंदर दास, पं. राम नारायण मिश्र, शिवकुमार सिंह ने की थी।
नागरी प्रचारिणी सभा के संस्थापक कौन थे ?
नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना बाबू श्यामसुंदर दास ने अपने दो अन्य मित्रों पंडित राम नारायण मिश्र और शिव कुमार सिंह के साथ मिलकर की थी।
तीनों उस समय वाराणसी में नवीं कक्षा के छात्र थे। उस समय फारसी, अंग्रेजी और उर्दू भाषा का अधिक बोलबाला था। ऐसे में हिंदी भाषा के उत्थान और प्रचार प्रसार के लिए तीनों छात्रों ने मिलकर नागरी प्रचारिणी सभा की स्थापना का विचार मन में किया और 16 जुलाई 1893 को उन्होंने स्थापना की।
इस संस्था के पहले अध्यक्ष बाबू राधाकृष्णदास बने। वाराणसी में ही इस संस्था की आरंभिक बैकें होती थीं और वहीं पर इस संस्था का स्वतंत्र भवन बना। सरस्वती नामक प्रसिद्ध पत्रिका प्रकाशन भी इसी संस्था द्वारा किया जाता था।
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