नागरजी
: लिखने से पहले तो मैने पढ़ना शुरू किया था। आरंभ में कवियों को ही अधिक पढता था।
सनेही जो, अयोध्यासिंह उपाध्याय को कविताएँ ज्यादा पढ़ीं। छापे का अक्षर मेरा पहला मित्र
था। घर में दो पत्रिकाएं मंगाते थे मेरे पितामह । एक 'सरस्वती' और दूसरी गृहलक्ष्मी'। उस
समय हमारे सामने प्रेमचंद का साहित्य था, कौशिक का था। आरम में बंकिम के उपन्यास
पढे। शरतचंद्र को बाद में। प्रभातकुमार मुखोपाध्याय का कहानी संग्रह 'देशी और विलायती'
१९३० के आसपास पढा। उपन्यासो में बकिम के उपन्यास 1930 में ही पढ़ डाले।
'आनंदमठ', 'देवी चौधरानी' और एक राजस्थानी थीम पर लिखा हुआ उपन्यास,
उसी समय
पढाधा।
तिवारी जी : क्या यही लेखक आपके लेखन के आदर्श रहे?
नागर जी : नहीं, कोई आदर्श नहीं। केवल आनद था पढ़ने का। सबसे पहले कविता फूटी साइमन
कमीशन के बहिष्कार के समय 1928-1929 में। लाठीचार्ज हुआ था। इस अनुभव से हो
पहली कविता फूटी- 'कब लो कहो लाठी खाय! इसे ही लेखन का आरंभ मानिए।
नाम लिस्विर
ऐसे दो शब्द जिनका वचन परिवर्तन नहीं होता
plese give me answer of this question and fallow me
Answers
Explanation:
: लिखने से पहले तो मैने पढ़ना शुरू किया था। आरंभ में कवियों को ही अधिक पढता था।
सनेही जो, अयोध्यासिंह उपाध्याय को कविताएँ ज्यादा पढ़ीं। छापे का अक्षर मेरा पहला मित्र
था। घर में दो पत्रिकाएं मंगाते थे मेरे पितामह । एक 'सरस्वती' और दूसरी गृहलक्ष्मी'। उस
समय हमारे सामने प्रेमचंद का साहित्य था, कौशिक का था। आरम में बंकिम के उपन्यास
पढे। शरतचंद्र को बाद में। प्रभातकुमार मुखोपाध्याय का कहानी संग्रह 'देशी और विलायती'
१९३० के आसपास पढा। उपन्यासो में बकिम के उपन्यास 1930 में ही पढ़ डाले।
'आनंदमठ', 'देवी चौधरानी' और एक राजस्थानी थीम पर लिखा हुआ उपन्यास,
उसी समय
पढाधा।
तिवारी जी : क्या यही लेखक आपके लेखन के आदर्श रहे?
नागर जी : नहीं, कोई आदर्श नहीं। केवल आनद था पढ़ने का। सबसे पहले कविता फूटी साइमन
कमीशन के बहिष्कार के समय
sister i deleted your all questions but give me 20 thanks
Answer:
once keep ur pic as dp pls