Hindi, asked by lovlyalisha427, 4 months ago

नाह ईसुरु बिमल बासु जानिऐ जग सोइ ।
ब्रह्मान बैस सूद अरु ख्यत्री डोम चंडार मलेछ मन सोइ ।
होइ पुनीत भगवत भजन ते आपु तारि तारे कुल दोइ।
धंनि सु गाउ धंनि सो ठाउ धंनि पुनीत कुटंब सभ लोइ।
जिनि पीआ सार रसु तजे आन रस होई रस मगन डारे बिखु र
पंडित सूर छत्रपति राजा भगत बराबरि अउरु न कोइ ।
जैसे पूरैन पात रहै जल समीप भनि रविदास जनमे जगि ओइ
अथवा
"मैं गिरधर के घर जाऊ म्हारों साँचों प् लुभाऊं।​

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Answered by Nitya293
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yarr! can please tell what we have to do in this

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