न हो कमीज़ तो पैरों से पेट डक लेंगे गजल कविता में यह बात कैसे लोगों पर लागू होती है
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प्रस्तुत पंक्तियाँ दुष्यंतकुमारी गजल 'साये में धूप' से अवतरित हैं।
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