ना ही शीतल है चंद्रमा हिम नहीं शीतल होय कबीरा शीतल संत जना नाम स्नेही सोई का अर्थ
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कबीर शीतल संत जन, नाम सनेही होय । भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं कि चन्द्रमा भी उतना शीतल नहीं है और हिमबर्फ भी उतना शीतल नहीं होती जितना शीतल सज्जन पुरुष हैं। सज्जन पुरुष मन से शीतल और सभी से स्नेह करने वाले होते हैं।
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