(ङ) हमारा संकल्प कब क्षीण और प्रज्ञा मंद पड़ जाती है?
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हँसी-खुशी का नाम जीवन है। जो रोते हैं, उनका जीवन व्यर्थ है।जब हम मन से हार मान ले तो संकल्प ओर सोचने की शक्ति कमजोर पड़ जाती ह मैन के हारे हार ह ओर मैन के जीते जीत
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