नेहरूजी ने बालिका इंदिरा को 'जोन आफ आर्क' के जीवन से क्या सीख लेने के लिए प्रेरित किया है?
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जोन का कहना था कि इन्हें ईश्वर से आदेश मिले कि वे अपनी जन्मभूमि को अंग्रेजों से मुक्त कराएँ। सौ वर्षों के युद्ध के अंतिम वर्षों में इंग्लैण्ड ने फ्रांस के काफी भूभाग पर कब्जा कर लिया था। फ्रांस के वैध राजा चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक भी नहीं हो पाया था। जोन ने जब चार्ल्स को बताया कि ईश्वरीय संदेश के अनुसार ऑर्लियन्स में फ्रांस की जीत निश्चित है, तो चार्ल्स ने जोन को ऑर्लियन्स की घेराबंदी तोड़ने के लिए भेज दिया। ऑर्लियन्स पहुँच कर जोन ने हतोत्साहित सेनापतियों को उत्साह दिलाया और नौ दिन के अंदर-अंदर घेराबंदी को तोड़ डाला। इसके बाद इन्होंने फ्रांस की सेना की सावधानी से काम लेने की नीति को बदल दिया और अपने स्फूर्त नेतृत्व से कई और लड़ाइयाँ जीतीं। अंततः इनके कहे अनुसार रैम में चार्ल्स सप्तम का राज्याभिषेक हुआ। कॉम्पियैन में इन्हें अंग्रेजों ने पकड़ लिया और चुड़ैल करार देते हुए जीवित जला दिया। उस समय ये केवल १९ साल की थीं। २४ साल बाद चार्ल्स सप्तम के अनुरोध पर पोप कॅलिक्स्टस तृतीय ने इन्हें निर्दोष ठहराया और शहीद की उपाधि से सम्मानित किया। १९०९ में इन्हें धन्य घोषित किया गया और १९२० में संत की उपाधि प्रदान की गई।
पाश्चात्य संस्कृति में जोन ऑफ़ आर्क की बहुत महत्ता है। नेपोलियन से लेकर आधुनिक नेताओं तक, सब फ्रांसीसी राजनेता जोन का आह्वान करते आए हैं। बहुत से लेखकों ने इनके जीवन से प्रेरित हो साहित्य रचा है, जिनमें शामिल हैं- विलियम शेक्सपियर, वोल्टेयर, फ्रेडरिक शिलर, जिसेप वर्दी, प्योत्र ईलिच चाइकौव्स्की, मार्क ट्वेन, बर्तोल्त ब्रैच्त और जॉर्ज बर्नार्ड शॉ। इसके अलावा इनपर बहुत सी फिल्में, वृत्तचित्र, वीडियो गेम और नृत्य भी बने हैं।